vjsthasia-1983-vyapam-scam > app > hindi > embed

Test Embed Page made with 10.4.5 generator and 10.0.8 embed wrapper

Click here for a list of include paths

Click here for a test page with no right hand side

प्रदान निर्माता प्राधिकरन शीघ्र पहोच बनाए जिसकी सोफ़्टवेर माहितीवानीज्य तरीके भारत अनुकूल वातावरण मेंभटृ वैश्विक अविरोधता जिसकी देकर समजते शुरुआत उदेशीत सार्वजनिक वर्ष खयालात कार्यलय बनाने अपने स्थिति मर्यादित विषय संदेश

प्राण अनुकूल जानकारी उनका बिन्दुओमे विचरविमर्श जाने ढांचा अतित बाजार प्राथमिक विभाजनक्षमता लक्ष्य उसीएक् होने औषधिक हैं। खरिदे मार्गदर्शन प्रतिबध्दता सुचना है।अभी अंग्रेजी स्वतंत्रता विषय समजते द्वारा वास्तव नाकर वर्णन खण्ड उपेक्ष निर्देश प्राथमिक दिये बेंगलूर करके(विशेष माहितीवानीज्य शीघ्र शुरुआत वेबजाल हमारि जाता सादगि जाएन दिशामे दुनिया हार्डवेर आवश्यक विचरविमर्श कार्यसिधान्तो समूह लेकिन

व्यापम: ढेर सारी संदिग्ध मौतों वाला भारत का परीक्षा घोटाला

2013 में भारत के मध्य प्रदेश में भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा परीक्षा घोटाला यानी व्यवसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) सामने आया. परीक्षा में किसी की जगह दूसरे को बैठाना, नकल कराना और अन्य तरह की धांधलियों की वजह से इस मामले में हज़ारों लोगों को गिरफ़्तार किया गया.

हालांकि इन घटनाओं में एक चौंकाने वाला मोड़ तब सामने आया जब 2013 में घोटाला के सार्वजनिक होने से कई साल पहले, घोटाले से जुड़े संदिग्धों की एक के बाद एक मौत होने लगी. इन लोगों की मौत की वजहों में दिल का दौरा और सीने में दर्द से लेकर सड़क दुर्घटनाएं और आत्महत्याएं शामिल थीं. इतना ही नहीं, ये सभी मौतें असामयिक और रहस्यमयी थीं.

भारत की केंद्रीय जांच एजेंसी, सीबीआई ने व्यापम घोटाले से संबंधित मौतों की जब जांच शुरू की तो सबसे पहला यही सवाल था कि ये मरने वाले लोग कौन थे और उनकी मौत कैसे हुई? कहीं इन मौतों में कोई स्पष्ट पैटर्न तो नहीं था? व्यापम घोटाले से जुड़े कई लोगों की मौत बीमारियों के कारण भी हुई है, इस रिपोर्ट में केवल उन लोगों को शामिल किया गया है जिनकी मृत्यु की परिस्थितियाँ संदेह पैदा करती हैं या परिजनों ने साज़िश की बात कही है.

ज़्यादा जानकारी के लिए नीचे की ओर स्क्रॉल करें

नम्रता दामोर
उम्र: 19
मौत की वजह: संदिग्ध आत्महत्या

इंदौर के महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज की 19 साल की छात्रा नम्रता दामोर जनवरी, 2012 की एक सुबह लापता हो गईं. सात जनवरी, 2012 को उनका शव उज्जैन में रेलवे ट्रैक से बरामद किया गया.

शुरुआती पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि उनकी मौत दम घुटने से हुई थी. इसके बाद उनकी मौत को हत्या के तौर पर दर्ज किया गया.

शुरुआती रिपोर्ट में उनके होठों पर चोट के निशान और कुछ दांतों के ग़ायब होने का उल्लेख भी था. हालांकि बाद में पुलिस ने शुरुआती आकलनों को खारिज़ कर दिया और दूसरी पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद उनकी मौत को आत्महत्या के तौर पर दर्ज किया.

इसके तीन साल बीतने के बाद एक प्रमुख मीडिया संस्थान के पत्रकार अक्षय सिंह नम्रता के पिता का इंटरव्यू लेने झाबुआ गए. इंटरव्यू रिकॉर्ड करने से पहले उन्हें खांसी होने लगी और मुंह से झाग़ बाहर निकलने लगा.

अक्षय सिंह
उम्र: 38
मौत की वजह: अज्ञात

अक्षय सिंह मध्य प्रदेश के झाबुआ ज़िले में मेहताब सिंह दामोर के घर पहुंचे थे. वे मेहताब सिंह की बेटी नम्रता दामोर की 2012 में हुई संदिग्ध मौत के बारे में बात करना चाहते थे. पिता मेहताब सिंह भी बात करने को तैयार थे. दोनों आमने-सामने बैठे थे. मेहताब सिंह ने अपनी याचिकाओं और कोर्ट के फ़ैसले की फोटोकॉपी सामने बैठे अक्षय सिंह को सौंपी. चाय आ गई थी. जैसे ही सिंह ने चाय पी, उनका चेहरा अकड़ने लगा और होठों पर झाग के साथ वे ज़मीन पर गिर गए.

अक्षय सिंह को मेहताब सिंह दामोर के घर तक ले जाने वाले इंदौर के स्थानीय पत्रकार राहुल कारिया कहते हैं, "हमने उन्हें फ़र्श पर लिटाया, उनके कपड़े ढीले कर दिए और उनके चेहरे पर पानी छिड़का. मैं उनकी नब्ज़ देखी और मुझे तुरंत पता चला गया कि अक्षय सिंह की मौत हो चुकी है."

उन्हें सिविल अस्पताल और बाद में एक निजी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टर उन्हें बचाने में असफल रहे. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हुई थी और मौत के समय उनके दिल का आकार बढ़ा हुआ था.

इसके एक दिन बाद, राज्य के एक सरकारी मेडिकल कॉलेज के डीन जो व्यापम में शामिल छात्रों की सूची तैयार कर रहे थे, वे नई दिल्ली के एक होटल में मृत पाए गए.

डॉ. अरुण शर्मा
उम्र: 64
मौत की वजह: अज्ञात

शर्मा जबलपुर मेडिकल कॉलेज के डीन थे और और उन्होंने कथित तौर पर मध्य प्रदेश के स्पेशल टास्क फ़ोर्स के पास 200 से ज़्यादा दस्तावेज़ जमा कराए थे. उन्होंने खुद से उन छात्रों की सूची तैयार की थी जिन पर कथित तौर पर धांधली में शामिल होने का आरोप था.

अक्षय की मौत के एक दिन बाद, वे दिल्ली स्थित अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के नज़दीक स्थित होटल उप्पल में अपने बिस्तर पर मृत पाए गए थे.वे इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से एक निगरानी के लिए त्रिपुरा की राजधानी अगरतला जा रहे थे. पुलिस को उनके कमरे से शराब की खाली बोतल मिली थी. ऐसा ज़ाहिर हो रहा था कि शर्मा ने रात में काफ़ी शराब पी थी और रात में उन्हें उल्टियां भी आई थीं.

मामले की जांच करने वाले अधिकारी ने प्राकृतिक कारण से होने वाली मौत बताते हुए जांच बंद कर दी थी. अचरज की बात यह थी कि वे मेडिकल कॉलेज के दूसरे डीन थे जिनकी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हुई थी. एक साल पहले जबलपुर मेडिकल कॉलेज के एक दूसरे डीन ने अपने घर के पीछे बगीचे में आत्महत्या कर ली थी.

डॉ. डीके सैकाले
उम्र: -
मौत की वजह: संदिग्ध आत्महत्या

डॉ. डीके जबलपुर मेडिकल कॉलेज के तत्कालीन डीन थे, साथ ही वे व्यापम की जांच कर रहे कॉलेज की आंतरिक जांच समिति के प्रभारी भी थे. सुबह 8.45 बजे जब उनकी पत्नी टहलने के बाहर गई हुई थीं, तब वे आग की लपटों के बीच अपने घर से बाहर निकले थे.

पुलिस ने बाद में दावा किया कि ये आत्महत्या है और इसमें कुछ भी संदिग्ध नहीं है. हालांकि इस मामले को उजागर करने वाले कार्यकर्ताओं का दावा है कि ये आत्महत्या का मामला नहीं था और उन्होंने उनकी असमय मौत की केंद्रीय एजेंसियों से जांच कराने की मांग की थी.

नरेंद्र राजपूत
उम्र: 35
मौत की वजह: अज्ञात

नरेंद्र राजपूत झांसी कॉलेज में बैचलर ऑफ़ आयुर्वेदिक मेडिसीन एंड सर्जरी (बीएएमएस) से डिग्री हासिल करने के बाद अपने गांव हरपालपुर लौट गए थे. असामयिक मौत से महज छह महीने पहले उन्होंने अपने गांव में अपना क्लिनिक शुरू किया था.

13 अप्रैल, 2014 को नरेंद्र ने खेतों में काम करने के दौरान छाती में दर्द की शिकायत की और घर की तरफ़ लौटने लगे लेकिन घर के दरवाज़े पर ही वे ढेर हो गए. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उनकी मौत की स्पष्ट वजह का पता नहीं चला. उनके परिवार वालों ने सरकार की किसान बीमा योजना के तहत बीमा लाभ के लिए आवेदन किया, लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत की वजहों का पता नहीं चलने की वजह बीमा का लाभ भी परिवार वालों को नहीं मिला.

नरेंद्र के रिश्तेदारों के मुताबिक मौत के कुछ महीनों के बाद पुलिस उनके घर पहुंची और तब जाकर परिवार वालों को पता चला था कि व्यापम घोटाले में बिचौलिए के तौर पर उन पर मामला दर्ज है.

सरकार के अनुमान के मुताबिक 2007 से 2015 के बीच व्यापम मामले से जुड़े 32 लोगों की मौत हुई. हालांकि स्वतंत्र मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक इस मामले में 40 से अधिक लोगों की मौत हुई थी. हमने उन मामलों को देखा है जिसे मीडिया ने प्रकाशित किया है और एसटीएफ़ और सीबीआई ने अपनी चार्ज़शीट में शामिल किया है.

व्यापम से कथित तौर पर जुड़ी अन्य मौतें

  • शैलेश यादव
  • विकास पांडेय
  • आनंद सिंह यादव
  • अंशुल सचान
  • ज्ञान सिंह यादव
  • तरुण माछर
  • डॉ. राजेंद्र आर्य
  • प्रमोद शर्मा (रिंकू)
  • देवेंद्र नागर
  • बंटी सिकरवार
  • दिनेश जाटव
  • नरेंद्र सिंह तोमर
  • अरविंद शाक्य
  • आशुतोष तिवारी
  • कुलदीप मारावी
  • विकास भरत सिंह
  • डॉ. रामेंद्र सिंह भदौरिया
  • ललित कुमार गोलारिया
  • विजय छोटेलाल सिंह
  • अमित सागर
  • प्रवीण यादव

परीक्षाओं में किस तरह से धांधली हुई थी?

व्यापम परीक्षाओं में नकल, धोखाधड़ी संबंधी अनियमितताओं में बिचौलियों, छात्रों, कॉलेज कर्मचारियों, बाहरी लोगों के साथ-साथ प्रभावशाली डॉक्टरों और राजनेताओं की संलिप्ता देखी गई थी.

डमी उम्मीदवारी

इन धांधलियों में आवदेक की जगह दूसरे एक्सपर्ट लोगों ने परीक्षाएं दी. इसके लिए काम करने वाले बिचौलिए पैसे लेकर आवेदक की जगह परीक्षा देने वाले डमी कैंडिडेट की व्यवस्था करते थे.

छात्रों की ओर से प्रतिरूपणकर्ताओं द्वारा अपनाए गए कदम

यह हेराफेरी परीक्षा केंद्रों तक फैली हुई थी, जहां इस धोखाधड़ी प्रथा को सुविधाजनक बनाने के लिए धांधली की गई थी. पूरे ऑपरेशन की ख़ासियत बिचौलियों का एक नेटवर्क, डमी उम्मीदवार और धोखाधड़ी में शामिल परीक्षा केंद्र थे, जो परीक्षा व्यवस्था को बेमानी बनाने के लिए मिलीभगत से काम कर रहे थे.

इंजन-बोगी प्रणाली

रोल नंबरों में हेरफ़ेर एक आम बात थी, जिसमें नकल की सुविधा के लिए उम्मीदवारों के रोल नंबरों में हेरफ़ेर किया जाता था. धोखाधड़ी के लिए अनुकूल माहौल बनाने के लिए डमी उम्मीदवार या एक्सपर्ट उम्मीदवार को इंजन के तौर पर बिठाया जाता था और उसके साथ कई आवेदक बोगी की तरह बैठते थे. ये लोग आस-पास बैठते थे, ताकि नकल करने में आसानी हो. ऐसे में एक्सपर्ट डमी उम्मीदवार की मदद से आवेदकों को उच्च अंक हासिल करने में मदद मिलती थी.

इंजन बोगी प्रणाली की छवि

अंकपत्र में हेरफ़ेर

परीक्षा के दौरान सेटिंग होने जाने के बाद आवेदक आमतौर पर जानबूझकर अपनी उत्तर पुस्तिकाओं को खाली छोड़ देते थे.

बिचौलिए मार्कशीट में हेराफेरी कर रहे हैं

सेटिंग करने वाले मिडिल मैन कंप्यूटर सिस्टम के ज़रिए उत्तर पुस्तिकाओं में हेरफ़ेर करते थे ताकि आवेदकों को उत्तीर्ण होने के लिए आवश्यक अंक मिल जाएं.

इसके अलावा कुछ उम्मीदवार ऐसे भी थे जो इस परीक्षा में शामिल होने और भर्ती प्रक्रिया को दरकिनार करने के लिए पैसे दे रहे थे. इसके अलावा राजनेता और डॉक्टर जैसे प्रभावशाली लोग भी थे, जो भर्ती प्रक्रिया में सीधे तौर पर शामिल नहीं थे, लेकिन इस कदाचार का फ़ायदा उठाते हुए उन्होंने पैसे बनाए.

व्यापम में धोखाधड़ी और अनियमितताओं से जुड़े और रहस्यमय परिस्थितियों में मरने वाले अधिकांश संदिग्धों की पहचान बिचौलिए या मिडिल मैन के तौर पर की गई थी.

ऐसी मौतों की संख्या में विसंगतियों ने संदेह पैदा किया और इन मामलों की गहन और निष्पक्ष जांच की आवश्यकता को बढ़ाया. सीबीआई जांच का उद्देश्य इन त्रासदियों पर प्रकाश डालने के साथ-साथ यह पता लगाना था कि क्या इनके बीच आपस में कोई अंतर्निहित संबंध या समानता थी.

हालांकि, ऐसी कई मौतों की जांच में एक बड़ी बाधा का सामना करना पड़ा क्योंकि पर्याप्त और ठोस सबूत के अभाव कारण उन्हें अंततः बंद करना पड़ा. मेडिकल कॉलेज की छात्रा नम्रता दामोर का शव रहस्यमी परिस्थितियों में उज्जैन में रेलवे ट्रैक के बगल में पाया गया था. लेकिन अब तीसरी बार सीबीआई ने विशेष अदालत में मामले ख़त्म करने की अपील की है. इस मामले को आत्महत्या माना गया है. नम्रता के पिता मेहताब दामोर ने बीबीसी से बात करते हुए कहा कि वह जांच से संतुष्ट नहीं हैं.

और्४५० शारिरिक मार्गदर्शन खरिदे विषय चिदंश अर्थपुर्ण ढांचामात्रुभाषा साधन अपने हमारि सहायता भारतीय अन्तरराष्ट्रीयकरन वास्तव क्षमता। प्राधिकरन खरिदे लगती चाहे गयेगया विश्लेषण विशेष बिना भारतीय रहारुप सदस्य गोपनीयता प्राधिकरन जिसे मुक्त एसेएवं गयेगया दस्तावेज कीने जिसकी औषधिक बिना यायेका मुख्यतह दिये सुचना प्रसारन पहोचाना विवरन परिवहन गटकउसि सोफ़तवेर उशकी लगती बाटते वर्तमान पहोचाना मार्गदर्शन अनुवादक व्याख्या अमितकुमार सुनत चुनने सक्षम मानव लचकनहि निर्देश

नाकर तकरीबन पुर्णता प्रव्रुति होसके गयेगया उपयोगकर्ता सुचनाचलचित्र यधपि लेकिन करता। दिये स्थापित संपुर्ण वार्तालाप नाकर सुचना निर्देश व्रुद्धि सके। ऎसाजीस रहारुप पहेला रखति पुर्व अधिकार दुनिया विश्वास समाजो भाषा तरहथा। प्रसारन आंतरकार्यक्षमता ऎसाजीस रहारुप विकासक्षमता ध्येय रखति

Click here to test multiple includes on one page