बीबीसी ने 2023 की दुनिया भर की सबसे प्रेरक और प्रभावशाली महिलाओं की सूची जारी की है.
इनमें मानवाधिकार मामलों की वकील अमाल क्लूनी, हॉलीवुड अभिनेत्री अमेरिका फरेरा, नारीवादी आइकॉन ग्लोरिया स्टेइनेम,अमेरिका की पूर्व फ़र्स्ट लेडी मिशेल ओबामा, ब्यूटी बिज़नेस शुरू करने वाली हुडा कातान और बैलन डि ओर ख़िताब जीतने वाली फुटबॉलर ऐताना भनमति शामिल हैं.
इस साल दुनिया में भीषण गर्मी, बाढ़ और अन्य प्राकृतिक आपदाओं ने सुर्ख़ियां बटोरी हैं इसलिए इस सूची में वे महिलाएं भी शामिल हैं जिन्होंने जलवायु परिवर्तन का सामना करने में अपने समुदाय की मदद की है और जलवायु परिवर्तन के असर को कम करने लिए क़दम उठाए.
बीबीसी 100 वीमेन में हम लोगों ने यूनाइटेड नेशंस क्लाइमेट चेंज कांफ्रेंस, सीओपी 28 से पहले जलवायु संरक्षण पर काम करने वाली 28 महिलाओं को शामिल किया है.
इन नामों को किसी ख़ास क्रम में नहीं रखा गया है.
क्लाइमेट कैफ़े संस्थापक
क्लाइमेट कैफ़े समुदायिक जगह है जहां लोग खाने-पीने, बात करने और जलवायु परिवर्तन पर काम करने के लिए जुटते हैं. पहले क्लाइमेट कैफ़े की स्थापना जेस पेपर ने 2015 में स्कॉटलैंड के गांव बिर्नाम पर्थशर में की.
वे अब दूसरे समुदायों को ऐसी जगह बनाने में मदद करती हैं जो ग्लोबल नेटवर्क से जुड़ी हुई हैं.
इसमें शामिल होने वाले कहते हैं कि यह सुरक्षित जगहें हैं जहां वह अपने जलवायु संकट के बारे में डर और चिंताओं को साझा कर सकते हैं.
जेस जलवायु क्षेत्र में कई जगह नेतृत्व की भूमिका निभाती हैं. वह रॉयल स्कॉटिश ज्योग्राफ़िकल सोसाइटी की मानद् फ़ेलो और रॉयल सोसाइटी ऑफ़ आर्ट्स की फ़ेलो हैं.
समुदायों में जलवायु संबंधित काम और सकारात्मक परिवर्तन हो रहे हैं जिसे अक्सर महिलाएं और बच्चे नेतृत्व दे रहे हैं. यह देखते हुए कि आपसी जुड़ाव कैसे प्रेरणा दे रहे हैं और परिवर्तन के बारे में बता रहे हैं, आगे के बदलाव के लिए अवसर और राजनीतिक गुंज़ाइश के साथ लचीलेपन के रुख से मुझे उम्मीद बंधती है.
जेस पेपर
कंटेंट क्रिएटर और यूट्यूबर
मैकडॉनल्ड्स में पार्ट टाइम नौकरी करते हुए पढ़ाई करने से लेकर ऑक्सफ़र्ड और हार्वर्ड से डिग्री प्राप्त करने के दौरान वी (वराइडज़ो) कटीव्हू की अकादमिक यात्रा दुनिया भर के लोगों के लिए प्रेरणा बनी हैं.
यूनिवर्सिटी में पढ़ते हुए उन्होंने एक निम्न सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि से आने वाली छात्रा के रूप में अपने अनुभव को साझा करने के लिए अपना एक यूट्यूब चैनल शुरू किया.
उसके बाद कटीव्हू ने 'एंपावर्ड बाई वी' शुरू किया, यह ऐसा प्लेटफ़ॉर्म है जिसके ज़रिए वह चाहती हैं कि दुनिया भर के वैसे छात्रों को उच्च शिक्षा में हिस्सा मिले जिनकी कोई सहायता नहीं करता या जिनका प्रतिनिधित्व कम है.
उन्होंने युवा लोगों के लिए 'अपनी सहायता आप' की एक व्यावहारिक किताब लिखी है. वह फ़िलहाल एजुकेशन लीडरशिप में पीएच डी कर रही हैं.
कलाकार
वीमेन हू वेयर नॉट ऑन ए (मैगज़ीन) कवर' लाला पेस्क्विनेली की परिकल्पना है जिसकी स्थापना 2015 में की गई ताकि सुंदरता की पुरानी सोच और मीडिया और लोकप्रिय संस्कृति में महिलाओं के प्रतिनिधित्व का सवाल उठाया जाए.
इस प्रोजेक्ट पर आधारित कई वायरल अभियान चले, इन अभियानों में महिलाओं को उनके शरीर के बारे में होने वाली बहसों के बारे में आगाह किया, इसमें उम्र बढ़ने और डाइटिंग जैसे मुद्दे भी शामिल हैं. हाल ही में कार्रवाई के लिए जारी उनके हैशटैग #HermanaSoltaLaPanza (बहन, पेट कम दिखाने के लिए सांस मत रोको) की ख़ासी चर्चा हुई.
लाला पेस्क्विनेली वकील, कवियत्री, लेस्बियन और फ़ेमिनिस्ट कार्यकर्ता के रूप में महिला सौंदर्य के तय मानदंडों को चुनौती देने के लिए काम करती हैं जो उनके अनुसार "वर्गिक, यौनिक और नस्लीय" है और जिससे जेंडर असमानता और बढ़ती है.
टीवी प्रेजेंटर
अगस्त 2021 में जब अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान का नियंत्रण हो गया तो उस समय होसाई अहमदज़ई देश की उन कुछ महिला न्यूज़ एंकर्स में शामिल थीं जिन्होंने ब्रॉडकास्टिंग जारी रखी थी.
वह शमशाद टीवी पर अपना काम कर रही हैं हालांकि मीडिया में सुरक्षा की चिंताएं हैं और सामाजिक रुकावट भी है.
उन्होंने अब तक कई तालिबान अधिकारियों का इंटरव्यू किया है लेकिन वह क्या पूछ सकती हैं, इस पर पाबंदी है और वह उनके आचरण पर सवाल नहीं कर सकतीं.
अहमदज़ई ने क़ानून और राजनीतिक विज्ञान की पढ़ाई की है. वह सात साल से मीडिया में काम कर रही हैं. वह लड़कियों की शिक्षा पर ख़ास ध्यान देती हैं जिस पर तालिबान ने प्रतिबंध लगा रखा है.
गड़ेरिया
वाखी समुदाय की बची-खुची महिला चरवाहों में से एक, अफ़रोज़े-नुमा ने लगभग तीन दशकों से बकरियों, याक और भेड़ों की देखभाल की है.
उन्होंने ये काम अपनी मां और दादी से सीखा है. वह सदियों पुरानी परंपरा का हिस्सा हैं जो अब पाकिस्तान की शिमशाल घाटी में लुप्त हो रही है.
हर साल, ये चरवाहे अपने जानवरों के झुंडों को समुद्र तल से 4,800 मीटर (16,000 फीट) ऊपर चरागाहों में ले जाते हैं, जहां वे डेयरी उत्पाद तैयार करते हैं, जबकि उनके जानवर चारा चरते हैं.
उनकी आय से गांव में समृद्धि आई है और वे अपने बच्चों की शिक्षा का ख़र्च भी उठा रही हैं. अफ़रोज़े-नुमा को आज भी याद है कि वह घाटी की पहली महिला थीं जिनके पास जूते थे.
हरित ऊर्जा सलाहकार
ताजिकिस्तान के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं के लिए अक्सर बिजली और जलावन की लकड़ी जैसी ऊर्जा के स्रोतों को पाना मुश्किल होता है. पर्यावरणीय चैरिटी प्रोजेक्ट की कोऑर्डिनेटर नतालिया इदरिसोवा इस ऊर्जा संकट का हल ढूंढती हैं और महिलाओं को प्राकृतिक संसाधनों व ऊर्जा बचाने वाली तकनीकों के बारे में बताती हैं.
ट्रेनिंग देने के अलावा उनका संगठन ऊर्जा बचाने वाले उपकरण जैसे सोलर किचन और प्रेशर कुकर भी उपलब्ध कराता है जिससे महिलाओं के समय की बचत होती है और घरों में जलवायु अनुकूल माहौल में जेंडर समानता में मदद मिलती है.
अब इदरिसोवा समुदायों को यह बता रही हैं कि कैसे विशेष तौर पर विकलांगता वाले लोगों को जलवायु परिवर्तन प्रभावित करता है. वह इसकी कोशिश करती हैं कि ऐसी आवाज़ों को राजनीतिक गलियारों में भी सुना जाए.
दुनिया की भयावह घटनाएं हमें इस बात का संकेत देती हैं कि इंसान को प्रकृति से अलग नहीं किया जा सकता. हम लापरवाही से और उसके ख़तरनाक अंजाम को समझे बिना प्रकृति का दोहन नहीं कर सकते.
नतालिया इदरिसोवा
ट्रक ड्राइवर
ट्रक ड्राइवर क्लारा एलिज़ाबेथ फ्रैगोसो उगार्टे ने अपने जीवन के 17 साल पुरुष-प्रधान और बदनाम उद्योग को दिए हैं. इस दौरान उन्होंने देश की कुछ सबसे ख़तरनाक सड़कों के साथ मैक्सिको की लंबी यात्राएँ की हैं.
मूल रूप से डुरांगो की रहने वाली फ्रैगोसो उगार्टे की 17 साल की उम्र में शादी हो गई और वह चार बच्चों की मां और सात बच्चों की दादी हैं.
एक "ट्रेलेरा" यानी महिला ट्रक ड्राइवर के रूप में मेक्सिको और अमेरिका में सामान पहुंचाने के सिलसिले में वह अपना जीवन सड़कों पर बिताती हैं.
वह युवा ड्राइवरों को प्रशिक्षित करने में भी मदद करती हैं और भारी-भरकम ट्रकिंग व्यवसाय में लैंगिक समानता हासिल करने के लिए अन्य महिलाओं को ट्रक ड्राइवर बनने के लिए प्रेरित करना चाहती हैं.
टिकाऊ पर्यटन की विशेषज्ञ
सुज़ैन, ट्रैवल ऐंड टूरिज़्म उद्योग की गिनी चुनी जलवायु वैज्ञानिकों में से एक हैं. वो पर्यटन उद्योग को एक स्थायी भविष्य की दिशा में ले जाने में बहुत दिलचस्पी रखती हैं.
सुज़ैन एट्टी, ग्रुप एडवेंचर के ट्रैवल कारोबार से जुड़ी एक छोटी सी कंपनी इंट्रेपिड ट्रैवल में वैश्विक पर्यावरण प्रभाव की प्रबंधक के तौर पर काम करती हैं. उन्होंने कंपनी को दुनिया का ऐसा पहला टूर ऑपरेटर बनाने में अगुवाई की है, जो विज्ञान आधारित कार्बन उत्सर्जन कम करने के लक्ष्यों के लिए प्रमाणित है.
सुज़ैन ने पर्यटन के कारोबार से जुड़े उन लोगों के लिए एक ओपेन सोर्स गाइड लिखी है, जो कार्बन उत्सर्जन कम करना चाहते हैं. इसके अलावा वो टूरिज़्म डिक्लेयर्स नाम के एक स्वैच्छिक समुदाय का भी अहम हिस्सा हैं, जिसमें 400 ट्रैवल संगठन, कंपनियां और पेशेवर लोग शामिल हैं, जिन्होंने जलवायु के आपातकाल का एलान किया है.
आज हम देख रहे हैं कि ज़्यादा से ज़्यादा कारोबार, पर्यावरण पर दुष्प्रभाव कम करने वाले महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय करके, जलवायु परिवर्तन से निपटने के क़दम उठाने की अहमियत को स्वीकार कर रहे हैं. ये कारोबार, नवीनीकरण योग्य ऊर्जा स्रोतों में निवेश कर रहे हैं और उत्सर्जन कम करने के लिए दूरगामी लक्ष्यों के प्रति वचनबद्ध हो रहे हैं.
सुज़ैन एट्टी
स्कूल टीचर
मिडिल स्कूल टीचर सारा ओट 9/11 की घटना के बाद अमेरिकी राज्य जॉर्जिया में जवान हुई हैं. उन्हें लगता था कि वे ग़लत सूचना का शिकार हो जाएंगी.
विज्ञान की शिक्षा लेने के बावजूद कुछ समय तक उन्हें इस बात का शक़ था कि जलवायु परिवर्तन वाक़ई हो रहा है.
ख़ुद की सोच को ग़लत मानना सच की खोज में उनका पहला क़दम था. उनकी यात्रा ने उन्हें नेशनल सेंटर फ़ॉर साइंस एजुकेशन में जलवायु परिवर्तन का दूत बना दिया.
वे अब जलवायु परिवर्तन का इस्तेमाल अपने छात्रों को भौतिक विज्ञान पढ़ने में करती हैं और अपने समुदाय में पर्यावरणीय जागरूकता फैलाती हैं.
जलवायु परिवर्तन भी एक ऐसी स्थिति है जिसमें सभी की मदद की ज़रूरत है, हम अकेले सबकुछ नहीं कर सकते. एक्टिविज़्म एक बाग़ की तरह है. यह मौसमी है. यह आराम करता है. आप जिस मौसम में हैं उसका सम्मान करें.
सारा ओट
संस्थापिका, ब्यूटी बिज़ेनस
इराकी अप्रवासी अमेरिकी परिवार में जन्मीं हुदा कातान ओकलाहोमा में पलीं बढ़ीं. उन्होंने परंपरागत कार्पोरेट करियर को छोड़कर अपने पैशन यानी ब्यूटी से जुड़े कारोबार में आईं.
लॉस एंजिलिस के एक प्रतिष्ठित मेकअप ट्रेनिंग स्कल में उन्होंने दाख़िला लेने के बाद मध्य पूर्व के शाही परिवारों से जुड़े अभिजात्य कुलीन तबके को अपना उपभोक्ता बनाया.
आज यह इंस्टाग्राम पर सबसे ज़्यादा फॉलो किया जाने वाला ब्यूटी ब्रैंड बन चुका है. इंस्टाग्राम पर इसके 5 करोड़ से ज़्यादा फॉलओर हैं.
कातान ने 2013 में हुदा ब्यूटी के तौर पर अपना कॉस्मेटिक ब्रैंड स्थापित किया. पहले उत्पाद के तौर पर उन्होंने फाल्स आइलैसेज को बाज़ार में उतारा. आज उनका कारोबार अरब डॉलर तक पहुंच गया है और कंपनी 140 से ज़्यादा ब्यूटी उत्पादों को दुनिया भर में फैले 1500 से ज़्यादा स्टोरों में बेचती है.
छात्रा और सामाजिक उद्यमी
सामाजिक उद्यमी सोफ़िया कियानी को ईरान में अपने रिश्तेदारों से बात करने के बाद इस बात का एहसास हुआ कि उनकी भाषा में जलवायु परिवर्तन के बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है इसलिए उन्होंने संबंधित जानकारी का फ़ारसी अनुवाद करना शुरू किया.
उनका यह काम तब जल्द ही एक बड़े प्रोजेक्ट में बदल गया जब उन्होंने क्लाइमेट कार्डिनल्स की स्थापना की. यह युवाओं द्वारा संचालित एक नॉन प्रॉफ़िट अंतरराष्ट्रीय समूह है जिसका मक़सद हर भाषा में उन्हें जलवायु की जानकारी का अनुवाद उपलब्ध कराना है.
इस समूह में अब 80 देश के दस हज़ार छात्र स्वयंसेवक हैं. इन्होंने 100 से अधिक भाषाओं में जलवायु संबंधी जानकारी का अनुवाद किया है.
कियानी का मक़सद वैज्ञानिक जानकारी को दुनिया भर में फैलाने में भाषाई बाधा दूर करना है.
युवा कार्यकर्ताओं ने वैश्विक जलवायु एक्शन नेटवर्क को बनाया और बढ़ावा दिया है, प्रदर्शन के लिए लाखों लोगों को संगठित किया है, जीवाश्म ईंधन विकास के ख़िलाफ़ हज़ारों याचिकाएं दायर की हैं, और जलवायु पहलों की आर्थिक मदद के लिए लाखों डॉलर जुटाए हैं. इस दुनिया की चुनौतियाँ इतनी बड़ी हैं कि हम उम्र या अनुभव के आधार पर ख़ुद को अलग नहीं रख सकते.
सोफ़िया कियानी
लेखिका
1990 के दशक में अपना नॉवेल, बलाड ऑफ लव इन दि विंड छपने के बाद पाउलिना चाइज़ियाने, अपना उपन्यास छपवाने वाली मोज़ांबीक़ की पहली महिला बनी थीं.
पाउलिना, मोज़ांबीक़ की राजधानी मापुतो के बाहरी इलाक़े में पली-बढ़ीं. उन्होंने कैथोलिक स्कूल में पुर्तगाली भाषा सीखी. उन्होंने एदुआर्दो मोंडलेन यूनिवर्सिटी में भाषाओं की पढ़ाई की. हालांकि, पाउलिना ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी नहीं कर सकीं.
उनकी रचनाओं का अंग्रेज़ी, जर्मन और स्पेनिश समेत कई भाषाओं में अनुवाद हो चुका है. पाउलिना को उनकी किताब, दि फर्स्ट वाइफ: अ टेल ऑफ पॉलीगैमी के लिए उन्हें मोज़ांबीक़ का होसे क्राविरिन्हा पुरस्कार भी मिल चुका है.
अभी हाल ही में पाउलिना ने कैमोइस प्राइज़ भी जीता है, जिसे पुर्तगाली भाषा के साहित्य का सबसे नामी पुरस्कार कहा जाता है.
बर्न्स सर्वाइवर
एक हादसे में फिरदौस के शरीर का 60 फ़ीसद हिस्सा जल गया था. इसके बावजूद, उन्होंने अपनी ज़िंदगी को दोबारा खड़ा किया और अब वो फिल्म निर्माता और लेखिका होने के साथ साथ शारीरिक अक्षमता को लेकर अभियान भी चलाती हैं.
जन्नत ने वॉयस ऐंड व्यूज़ नाम से एक मानव अधिकार संगठन बनाया है, जो जलने की शिकार महिलाओं के हक़ के लिए लड़ता है.
जन्नत को उनके दोस्त और परिजन इवी कहकर बुलाते हैं. वो पांच शॉर्ट फिल्में बना चुकी हैं और उनके तीन उपन्यास भी छप चुके हैं. वो अपने क़िस्से कहानियों के ज़रिए शारीरिक अक्षमता के शिकार लोगों के बारे में जागरूगता बढ़ाने का काम करती हैं.
फ़िरदौस ने ख़ूब पढ़ाई की है और उनकी अकादेमिक उपलब्धियों में अंग्रेज़ी साहित्य में एमए और डेवेलपमेंट स्टडीज़ में ग्रेजुएट की डिग्री भी शामिल हैं.
लेखिका
फिक्शन, नॉन फिक्शन और काव्य की 20 से ज़्यादा रचनाओं की लेखिका ऑक्साना को यूक्रेन के प्रमुख लेखकों और बुद्धिजीवियों में से एक माना जाता है.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऑक्साना को 'फील्ड वर्क इन यूक्रेनियन सेक्स' और 'दि म्यूज़ियम ऑफ एबैन्डंड सीक्रेट्स' जैसी रचनाओं के लिए जाना पहचाना जाता है.
ऑक्साना ने किएव की शेवचेंको यूनिवर्सिटी से दर्शनशास्त्र में ग्रेजुएशन किया था. उनके पास डॉक्टरेट की डिग्री भी है.
ऑक्साना की किताबों का 20 भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है. और, वो कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी जीत चुकी हैं. इनमें एंगेलस सेंट्रल यूरोपीय लिटररी प्राइज़, यूक्रेन का शेवचेंको नेशनल प्राइज़ और फ्रांस का नेशनल ऑर्डर ऑफ दि लीजन ऑफ ऑनर भी शामिल हैं.
बौद्ध भिक्षुणी
1940 के दशक में इंग्लैंड में पैदा हुईं जेस्टूनमा तेनज़िन पाल्मो ने किशोर उम्र में बौद्ध धर्म अपना लिया.
20 वर्ष की उम्र में उन्होंने भारत की यात्रा की और तिब्बती बौद्ध भिक्षुणी बनने वाली पश्चिम की पहली महिलाओं में शामिल हुईं.
महिला धर्मावलंबियों का दर्जा बढ़ाने के लिए पाल्मो ने हिमाचल प्रदेश में डोंगयू गतसाल लिंग भिक्षुगृह बनाया जहां 120 से अधिक भिक्षुणियाँ रहती हैं.
उन्हें हिमाचल की एक दूर दराज़ की गुफा में बारह साल बिताने के लिए जाना जाता है, इनमें से तीन साल गहन ध्यान में बीता. 2008 में उन्हें जेस्टूनमा के पद से सम्मानित किया गया जिसका अर्थ होता है सम्मानित गुरु.
पत्रकार
कैरोलाइना डाइज़ पिमेंटेल को 27-28 साल की उम्र में जब आख़िरकार यह पता लगा कि उन्हें ऑटिज़्म है तो उन्होंने इस ख़ुशी में केक बेक किया कि उन्हें अब यह मालूम है कि वह न्यूरो डायवर्जेंट (अलग तंत्रिका तंत्र वाली) हैं.
उनकी उम्र अब 30 साल से अधिक है और वह ख़ुद को गर्व से ऑटिस्टिक कहती हैं. वह एक पत्रकार के रूप में काम करती हैं और उनकी विशेषज्ञता न्यूरो डायवर्जेंस और मानसिक स्वास्थ्य कवरेज है.
कैरोलाइना उस लांछन को ख़त्म करने के लिए भी काम करती हैं जिसका मनोवैज्ञानिक विकलांगता वाले लोगों को अक्सर सामना करना पड़ता है. वह कई प्रोजेक्ट्स और नन-प्रॉफ़िट पहलों की संस्थापिका हैं जो न्यूरो डाइवर्सिटी (विविध तंत्रिका तंत्र) के बारे में जागरूकता फैलाती हैं, जैसे मास क्यू बाइपोलर (बाइपोलर से अधिक), दी पेरूवियन न्यूरो डायवर्जेंट कोलिशन और प्रोयेक्टो एटिपिको.
उन्हें पुलित्जर सेंटर से ग्रांट मिला हुआ है और वह रोज़लीन कार्टर स्कॉलर हैं.
मॉडल और इन्फ्लुएंसर
93 साल की उम्र वाले ऐसे गिने चुने लोग ही होंगे जो ये दावा कर सकें कि इंस्टाग्राम पर उनके 2 लाख 35 हज़ार से ज़्यादा फॉलोअर हैं. लेकिन इटली की सबसे बुज़ुर्ग बॉडी पॉज़िटिविटी इन्फ्लुएंसर लिशिया के लिए, ये तो बस एक शुरुआत है.
लिशिया ने दूसरे विश्व युद्ध की तबाही देखी थी. उन्होंने अपनी 28 बरस की बेटी की मौत का ग़म भी सहा और उनके पति की भी मौत हो चुकी है.
लेकिन, जब लिशिया के पोते ने उनका जी बहलाने के लिए इंस्टाग्राम पर उनका प्रोफाइल बनाया, तो उनके रंग-बिरंगे लिबासों और चमकीली मुस्कान ने उन्हें एक झटके में सोशल मीडिया का स्टार बना दिया.
लिशिया ने अपनी आत्मकथा लिखी है, और वो 89 साल की उम्र मे रॉलिंग स्टोन पत्रिका के लिए न्यूड मॉडलिंग भी कर चुकी हैं.
लिशिया उम्रदराज़ लोगों, महिलाओं और LGBTQ+ समुदाय के अधिकारों के लिए आवाज़ उठाती हैं. वो बॉडी पॉज़िटिविटी को बढ़ावा देती हैं, और ढलती उम्र के शरीर और बुज़ुर्गों को लेकर हमारी सोच को नए सिरे से गढ़ने का काम कर रही हैं.
LGBTQ+ और मूल निवासियों की अधिकार कार्यकर्ता
मछा, थाइलैंड की म्यांमार से लगने वाली सीमा के पास रहती हैं. ये वो इलाक़ा है, जिसने जलवायु परिवर्तन और संघर्ष, दोनों के दुष्प्रभाव झेले हैं. मछा फोर-इन ने अल्पसंख्यकों के अधिकारों की लड़ाई लड़ने का बीड़ा उठाया है.
मछा ने संगसान अनाकोट यावाचोन डेवेलपमेंट प्रोजेक्ट नाम से एक संगठन बनाया है, जिसका मक़सद, उन हज़ारों देश विहीन और भूमिहीन महिलाओं, लड़कियों और LGBTQ+ समुदाय के युवा सदस्यों को शिक्षित करना है, जो अपनी ज़मीन के मूल निवासी रहे हैं.
एक जातीय अल्पसंख्यक/ मूल निवासी लेस्बियन और महिलावादी के तौर पर मछा फोर-इन, अपने इलाक़े में लैंगिक हिंसा के ख़िलाफ़ आंदोलन छेड़ने वाली अग्रणी महिला हैं. इसके अलावा वो बेदख़ल करके अधिकारों से महरूम किए गए लोगों के लिए ज़मीनों के अधिकार और जलवायु के मामले में इंसाफ़ दिलाने के लिए काम करती हैं.
मूल निवासियों, LGBTQIA+, महिलाओं और लड़कियों की तरफ़ से आवाज़ उठाने वालों की मायने रखने वाली भागीदारी के बिना जलवायु परिवर्तन से निपटने का कोई टिकाऊ समाधान नहीं निकाला जा सकता है.
मछा फोर-इन
कलाकार
प्रिंटमेकिंग, ड्रॉइंग, पेंटिंग, इंस्टॉलेशन और फ़िल्म जैसी कई कलाओं में काम करने वाली चीला कुमारी बर्मन अपने कामों का इस्तेमाल प्रतिनिधित्व, जेंडर और सांस्कृतिक पहचान जैसे मुद्दों पर चर्चा के लिए करती हैं.
इस साल उनके काम को ब्लैकपूल इल्ल्यूमिनेशन में जगह मिली, यह एक प्रकाश उत्सव है जो 1879 से ब्रिटेन में आयोजित होता चला आ रहा है. उन्होंने अपने मां-बाप के आइस्क्रीम बिज़नेस से प्रभावित होकर 'लॉलीज़ इन लव विद लाइट' नाम की इंस्टॉलेशन (कलाकृति) बनाई जिसके बीच में आइस्क्रीम वैन है.
सन 2020 में बर्मन ने 'रिमेंबरिंग अ ब्रेव न्यू वर्ल्ड' नाम की कलाकृति बनाई जिसमें टेट ब्रिटेन के उन सन्दर्भों को सजाया गया था जो भारतीय पौराणिक कथाओं, लोकप्रिय संस्कृति और महिला सशक्तीकरण से संबंधित हैं.
बीते साल उन्हें ऑर्डर ऑफ़ ब्रिटिश एंपायर (एमबीई) से सम्मानित किया गया था.
मछली विक्रेता
एसी बुओबासा घाना के उस फुवेमी गांव की रहने वाली हैं जो समुद्र की बाढ़ में बह गया था. उन्होंने जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को ख़ुद अनुभव किया है.
समुद्र तल ऊपर उठने के बाद उन्हें अपने पति और पांच बच्चों के साथ वह जगह छोड़नी पड़ी थी क्योंकि उनकी ज़मीन रहने लायक़ नहीं रह गई थी.
अपने गांव की एक प्रमुख मछली विक्रेता होने के तौर पर बुओबासा और उनके साथियों ने उस क्षेत्र में मछुआरिनों की मदद के लिए एक संगठन बनाया. समुद्रीय कटाव के कारण उनकी आमदनी प्रभावित होती है.
इस संगठन में अब लगभग सौ सदस्य हैं. इस संगठन की हर सप्ताह मीटिंग होती है जिसमें व्यापार में महिलाओं को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर चर्चा होती है. साथ ही ज़रूरतमंद परिवारों की मदद के लिए आर्थिक सहयोग भी दिया जाता है.
जब भी ज्वारीय धाराएं आती हैं, हम परेशान हो जाते हैं. हमें और अगली पीढ़ी को मौत घेर लेती है.
एसी बुओबासा
विकलांगता अधिकार कार्यकर्ता
हाई स्कूल में पढ़ते हुए मारिजेटा मोजासेविच को दो बार स्ट्रोक लगा लेकिन इसके बाद उनका जीवन एकदम बदल गया.
शारीरिक और मनोवैज्ञानिक प्रभावों को, जिनमें से आज भी कुछ जारी हैं, झेलने के बाद मोजासेविच अब युवाओं की सलाहकार और विकलांगता अधिकार कार्यकर्ता के रूप में काम करती हैं.
वह न्यूरोलॉजिकल बीमारियां झेल रहे लोगों के प्रति ग़लत सोच और व्यवहार के ख़िलाफ़ अपनी आवाज़ बुलंद करती हैं.
उन्होंने 'लाइफ़ विद डिसेबिलिटी' नाम से वर्कशॉप्स तैयार की हैं जिनमें वह अपने अनुभवों के आधार पर पूर्वाग्रहों से निपटने में मदद करती हैं.
वह 'वनन्यूरोलॉजी' की दूत हैं. वनन्यूरोलॉजी एक ऐसी पहल है जिसका मक़सद न्यूरोलॉजिकल परेशानियों को वैश्विक स्वास्थ्य प्राथमिकता में शामिल करना है.
फ़ोटोग्राफ़र
स्वतंत्र फ़ोटोग्राफ़र, लेखक और नेशनल ज्योग्राफ़िक एक्सप्लोरर आरती कुमार राव पूरे दक्षिण एशिया में काम करते हुए जलवायु परिवर्तन से आने वाले बदलावों का दस्तावेज़ तैयार करती हैं.
वह इसका ब्योरा तैयार करती हैं कि कैसे तेज़ी से घटते भूगर्भ जल, प्राकृतिक क्षेत्रों की बर्बादी और उद्योग के लिए भूमि अधिग्रहण जैव विविधता को नुक़सान पहुंचाते हैं और कैसे इससे आम ज़मीन का दायरा कम होता है जिससे लाखों लोग विस्थापित होते हैं और कई जीव विलुप्त हो जाते हैं.
आरती ने भारतीय उप-महाद्वीप के हर कोने को एक दशक में छान मारा है, और उनकी कहानियां बताती हैं कि पर्यावरणीय बर्बादी आजीविका और जैव विविधता को प्रभावित करती है.
उनकी किताब 'मार्जिन लैंड: इंडियाज़ लैंडस्केप्स ऑन द ब्रिंक' सबसे मुश्किल पर्यावरण वाले इलाके में रहने वालों के अनुभव को बताती है.
जलवायु संकट की जड़ में धरती, जल और वायु से हमारा दुर्भाग्यपूर्ण दुराव है, इसलिए हमारे लिए ज़रूरी हो गया है कि हम इस संबंध को दोबारा जोड़ें.
आरती कुमार राव
मूल निवासियों और शारीरिक रूप से अक्षम लोगों की अधिकार कार्यकर्ता
केरा शेरवुड-ओ'रीगन, न्यूज़ीलैंड के दक्षिणी द्वीप, टे वाइपोउनामू की रहने वाली हैं. वो मूल निवासियों और विकलांगों के के बीच काम करने वाली क्लाइमेट एक्सपर्ट हैं.
केरा, एक्टिवेट नाम से सामाजिक बदलाव लाने के लिए काम करने वाली संस्था की सह-संस्थापक हैं. उनकी संस्था जलवायु परिवर्तन के मामले में न्याय और सामाजिक बदलाव के लिए काम करती हैं.
केरा शेरवुड-ओ'रीगन की सोच, ज़मीन और पुरखों को लेकर माओरियों के नज़रिए वाली है. हाल के दिनों तक जलवायु संरक्षण की मुख्यधारा में न्यूज़ीलैंड के मूल निवासी माओरियों को अनदेखा किया जाता था.
केरा शेरवुड-ओ'रीगन ने मंत्रियों, अधिकारियों और समाज के अन्य लोगों के साथ संबंध बढ़ाकर अपने समुदायों पर जलावुय परिवर्तन के दुष्प्रभावों को उजागर किया है. इसके साथ साथ वो जलवायु परिवर्तन से जुड़ी वार्ताओं में मूल निवासियों और शारीरिक रूप से अक्षम लोगों की आवाज़ को भी अधिक मान्यता देने की वकालत करती हैं.
हम 'एक्स्ट्रैक्टिविस्ट' मॉडल को ख़ारिज करते हैं. हम अपनी जगह वापस ले रहे हैं. हम समुदायों की अगुवाई कर रहे हैं और ये कारगर साबित हो रहा है. मुझे लगता है कि अब बहुत से लोग के मानने लगे हैं कि जलवायु संकट का समाधान मूल निवासियों की संप्रभुता की हक़ीक़त स्वीकार करने में है.
केरा शेरवुड-ओ'रीगन
शिक्षक और जलवायु सलाहकार
किशोरवय सागरिका श्रीराम स्कूलों में जलवायु शिक्षा को अनिवार्य बनाने के लिए संघर्ष कर रही हैं.
अपनी कोडिंग क्षमता का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने Kids4abetterworld नाम का ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म बनाया है. इसका मक़सद दुनिया भर के बच्चों को सिखाने और अपने समुदाय में टिकाऊ प्रोजेक्ट बनाने में मदद करना है.
वह इसके साथ ऑनलाइन और ऑफ़लाइन पर्यावरणीय वर्कशॉप आयोजित करती हैं जिसमें वह बच्चों को यह बताती हैं कि वह जलवायु परिवर्तन पर कैसे एक सकारात्मक असर डाल सकते हैं.
दुबई में अपनी ए लेवल की पढ़ाई करने के साथ-साथ श्रीराम बाल अधिकारों की संयुक्त राष्ट्र कमेटी की बाल सलाहकार टीम में भी हैं.
यह ख़तरे की घंटी बजाने का नहीं बल्कि काम करने का समय है, इसलिए हर बच्चे को टिकाऊ जीवन और दुनिया में व्यवस्था संबंधी ज़रूरी परिवर्तन के बारे में काम करना सिखाया जाता है.
सागरिका श्रीराम
किसान और उद्यमी
2016 में नॉक-टेन नाम का टाइफून, फिलीपींस के कैमेराइंस सुर से तबाही मचाते हुए गुज़रा था, जिससे खेती लायक़ 80 प्रतिशत ज़मीन बर्बाद हो गई थी.
लुईस माबुले ने तूफ़ान के बाद के दौर में ककाओ प्रोजेक्ट की स्थापना करके, इस तबाही को धता बता दी. उनका संगठन टिकाऊ खेती और बाग़बानी से खाने की स्थानीय व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए काम कर रहा है.
लुईस किसानों को सशक्त बनाती हैं. तबाही लाने वाली खाद्य व्यवस्था का ढांचा तोड़ती हैं, और ग्रामीण क्षेत्र की अगुवाई में हरित अर्थव्यवस्था की वकालत करते हैं, जिसमें कमान वापस उन लोगों के हाथ में देनी चाहिए, जो ज़मीन पर खेती करते हैं.
वो अंतरराष्ट्रीय जलवायु नीति पर सलाह देती हैं. जहां वो ग्रामीण क्षेत्र की कहानियां सुनाती हैं, वहां का ज्ञान साझा करती हैं. संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण कार्यक्रम ने उन्हें पृथ्वी की युवा चैंपियन के तौर पर सम्मानित किया था.
मुझे ये बात जानकर उम्मीद बंधती है कि दुनिया भर में आंदोलन मेरे जैसे लोग खड़ा कर रहे हैं, जिससे हम ज़्यादा हरी-भरी एक ऐसी दुनिया की दिशा में आगे बढ़ सकें, जो समुदायों को आपस में जोड़ती हो. जहां हमारा खाना सबको उपलब्ध हो और उसके टिकाऊ तरीक़े से उपजाया जाए. जहां हमारी अर्थव्यवस्थाएं सर्कुलर होने के साथ साथ न्यायोचित और समतावादी उसूलों पर चलें.
लुईस माबुलो
कवियत्री
लेखिका और राजनीतिक कार्यकर्ता दारिया सेरेंको फ़ेमिनिस्ट एंटी-वार रेसिस्टेंस की एक कोऑर्डिनेटर हैं- यह पहल रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के ख़िलाफ़ है.
वह पिछले नौ वर्षों से रूस में जेंडर हिंसा के बारे में लिख रही हैं. उन्होंने नारीवादी और युद्ध विरोधी दो पुस्तकें भी लिखी हैं.
सेरेंको 'क्वाइट पिकेट' कला पहल की भी रचयिता हैं जिसमें ऐसे प्लकार्ड लिए चलती हैं जिन पर विशेष मुद्दों पर लोगों का ध्यान खींचने वाला संदेश होता है.
रूस ने जब यूक्रेन के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ा तो उसके दो हफ़्ते पहले अधिकारियों ने सेरेंको को "अतिवादी" संदेश फैलाने के आरोप में हिरासत में ले लिया. उसके कुछ ही दिनों बाद उन्होंने जॉर्जिया में शरण ले ली. रूस उन्हें अब विदेशी एजेंट बताता है.
फ़ोर लाइफ़ सिलाई दुकान की सह-संस्थापक
शैरबू सैगिनबैवा स्टेज-4 के कैंसर के लिए तीन साल के गहन इलाज और अपनी दवा के लिए पैसे जुटाने में संघर्ष करने के बाद अब बीमारी से उबर रही हैं.
बीमारी से उबरने वाली चार अन्य कैंसर मरीज़ों के साथ उन्होंने फ़ोर लाइफ़ सिलाई दुकान की स्थापना की जहां वे सुंदर बैग बनाती और बेचती हैं, और इससे होने वाली सारी कमाई को कैंसर के इलाज के लिए देती हैं.
उन्होंने अब तक 33 हज़ार डॉलर (लगभग 27.5 लाख रुपये) जमा किए हैं जिससे मेडिकल ख़र्च के लिए 34 ज़रूरतमंद महिलाओं की आर्थिक मदद की गई.
शैरबू सैगिनबैवा को इस बात का भी एहसास था कि इलाज केंद्र से दूर रहने वाले मरीज़ों की मदद की ज़रूरत है इसलिए उन्होंने हॉस्टल की स्थापना की ताकि मरीज़ पास में ठहर सकें, हॉस्टल से कोई कमाई नहीं की जाती.
फ़्रीडाइविंग इंस्ट्रक्टर
दक्षिण अफ़्रीका की फ़्रीडाइविंग इंस्ट्रक्टर के तौर पर ज़ानदिले एनधलोवु अधिक से अधिक लोगों को समुद्र से जोड़ना चाहती हैं.
उन्होंने दी ब्लैक मरमेड फ़ाउंडेशन बनाया जो युवाओं और स्थानीय समुदायों को समुद्र से जोड़ता है, इस उम्मीद में कि इससे नए समूहों को इन जगहों का इस्तेमाल मनोरंजन, पेशों और खेल में मदद करने में मिलेगी.
एनधलोवु समुद्री पर्यटक, क़िस्सागो और फ़िल्म निर्माता हैं. वह इन हुनरों का इस्तेमाल एक नई पीढ़ी के निर्माण में करती हैं जिसे वह 'ओशियन गार्जियन' के नाम से पुकारती हैं. यानी ऐसे लोग जो समुद्री प्रदूषण और बढ़ते समुद्र तलों के बारे में जानकारी लेते हैं, और पर्यावरण की सुरक्षा में जुटते हैं.
जलवायु संकट के मद्देनज़र समाज में परिवर्तन लाने के लिए युवा आवाज़ों की संख्या से मुझे उम्मीद जगती है.
ज़ानदिले एनधलोवु
एथलीट
लेबनान में 100 मीटर दौड़ का रिकॉर्ड तोड़ने के बाद अज़ीज़ा को 'लेबनान के इतिहास की सबसे तेज़ दौड़ने वाली महिला' का ख़िताब दिया गया था. हाल ही में उन्होंने उस वक़्त सुर्ख़ियां बटोरीं जब वो पश्चिमी एशियाई और अरब चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने वाली लेबनान की पहली अश्वेत एथलीट बनी थीं.
उनके पिता लेबनान के हैं और मां लाइबेरिया की. अज़ीज़ा 11 साल की उम्र में लेबनान आ गई थीं. लेबनान में उन्हें नस्लवाद और अपने रंग की वजह से वर्गभेद भी झेलना पड़ा था.
इसके बाद एथलेटिक्स ने अज़ीज़ा को अपनी असली पहचान तलाशने और ख़ुद को सशक्त बनाने का मौक़ा मुहैया कराया. खेल के मैदान में उतरने के बाद ही उन्हें नस्लवाद के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने का हौसला मिला.
अज़ीज़ा ने अपनी लोकप्रियता का इस्तेमाल, अपने देश में गहरी जड़ें जमाए बैठे नस्लवाद का विरोध करने और सबको समान अधिकार और साथ मिलकर चलने की मांग करने के लिए किया. अब वो लेबनान के स्कूलों और विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर लेबनान की नई पीढ़ी का हौसला बढ़ाती हैं.
स्क्रीन राइटर
अवार्ड विजेता लेखिका और चित्रकार एलिस ओसमैन, नौजवान वयस्कों के लिए बेस्ट सेलिंग ग्राफिक नॉवेल, हार्टस्टॉपर की रचना करने वाली स्क्रीन राइटर हैं. उन्होंने LGBTQ+ समुदाय के उभार की कहानी को नेटफ्लिक्स के लिए टीवी सिरीज़ के तौर पर लिखा था, जिसने एमी अवार्ड भी जीता.
एलिस ने इस सिरीज़ के हर एपिसोड को ख़ुद लिखा है और वो इसके निर्माण के हर स्तर से जुड़ी रही हैं, फिर चाहे वो कलाकारों का चुनाव हो या संगीत.
एलिस युवा वयस्कों के लिए कई अन्य उपन्यास लिख चुकी हैं. इनमें रेडियो सायलेंस, लवलेस और सॉलिटेयर भी शामिल है, जो उस वक़्त प्रकाशित हुआ था, जब एलिस की उम्र केवल 19 बरस थी.
एलिस की किताबों ने कई अवार्ड जीते हैं. कई के लिए नॉमिनेट हुए हैं या फिर शॉर्टलिस्ट किए गए हैं. इनमें YA बुक प्राइज़, दि इंकी अवार्ड्स, दि कार्नेगी मेडल और गुडरीड्स च्वाइस अवार्ड्स शामिल हैं.
क्रिकेटर
इस साल हरमनप्रीत कौर, विज़डन के पांच क्रिकेटर्स ऑफ दि ईयर में अपना नाम दर्ज कराने वाली पहली भारतीय महिला क्रिकेटर बनी थीं.
भारत की राष्ट्रीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान हरमनप्रीत, देश और विदेश में ढेरों रन बना चुकी हैं. पिछले साल उनकी अगुवाई में भारतीय टीम ने कॉमनवेल्थ खेलों का सिल्वर मेडल जीता था.
घरेलू क्रिकेट में हरमनप्रीत ने इसी साल मार्च में पहली विमेन्स प्रीमियर लीग में अपनी टीम मुंबई इंडियंस को जीत दिलाई थी.
2017 में हरमनप्रीत ने अपने करियर में बड़ी कामयाबी हासिल की थी, जब महिलाओं के वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल मैच में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ 115 गेंदों में 171 रन बनाए थे. उनकी शानदार पारी की वजह से ही भारतीय टीम फाइनल में पहुंची थी.
कॉमेडियन
ग्रीनवॉशिंग कॉमेडी क्लब स्टैंड अप कॉमेडी करने वालों का ऐसा समूह है, जो पर्यावरण के साथ साथ, महिलावाद, ग़रीबी, विकलांगता और LGBTQ+ के अधियारों से जुड़े मुद्दे उठाता है.
इस क्लब की स्थापना एन ख़ल ने की थी. उनका मानना है कि पंचलाइनों के ज़रिए लोगों के ज़हन में बदलाव के बीज बोए जा सकते हैं, और उनकी आदतों पर असर डाला जा सकता है.
आज मनोरंजन से संचालित होने वाले समाज में, जहां संक्षिप्त परिकल्पनाएं और कम शब्दों वाले मैसेज का चलन है, वहां एन ख़ल का मानना है कि हंसी-मज़ाक़ के ज़रिए जलवायु परिवर्तन से जुड़े विचार शेयर किए जा सकते हैं. क्योंकि मज़ाक़ में अक्सर चीज़ों को बढ़ा-चढ़ाकर पंचलाइन से पेश किया जाता है.
ग्रीनवॉशिंग कॉमेडी क्लब की कामयाबी बहुत हौसला बढ़ाने वाली है, क्योंकि इससे संकेत मिलता है कि आज जलवायु परिवर्तन को लेकर बहुत से लोग चिंतित हैं, और वो एक साथ आना चाहते हैं, ताकि सबके साथ मिलकर हंसें और इस सोच के साथ कार्यक्रम से निकलें कि वो ये लड़ाई जारी रखने के लिए तैयार हैं.
एन ख़ल
क्यूरेटर और कल्चरल मैनेजर
आंद्रेज़ा डेलगाडो ने एक कॉमिक बुक कन्वेंशन के अनुभवों को साओ पालो के बाहरी इलाक़ों के ग़रीब लोगों के साथ साझा करने की कोशिश के दौरान 'पेरिफ़ाकॉन' बनाने में मदद की.
यह निशुल्क आयोजन ब्राज़ील की झोंपड़पट्टियों के कॉमिक लेखकों, कलाकारों और दूसरे सहयोगियों पर केंद्रित होता है जिनकी आम तौर पर उपेक्षा की जाती है.
कॉमिक बुक्स, वीडियो गेम्स, कंसर्ट्स के साथ तीसरी पेरिफ़ाकॉन का आयोजन 2023 में किया गया जिसमें पंद्रह हज़ार लोग शामिल हुए.
यूट्यूबर और पॉडकास्टर की हैसियत से अपने प्लेटफ़ॉर्म्स का इस्तेमाल करते हुए आंद्रेज़ा डेलगाडो ब्राज़ील में सांस्कृतिक पहुंच के लोकतंत्रीकरण के लिए आवाज़ उठाती हैं. उनका ख़ास ध्यान उपेक्षित कलाकारों पर रहता है.
स्पीड क्लाइंबर
जब रीटा प्राइमरी स्कूल में थीं तो उनके पास एक दीवार पर तेज़ी से चढ़ने की चुनौती आई, उस दिन के बाद से यह उनकी पहली पसंद बन गया.
उन्होंने युवाओं के लिए आयोजित प्रतियोगिताओं में सफल होना शुरू कर दिया. इस साल तो उन्होंने अपनी कामयाबी का झंडा गाड़ा.उन्होंने स्पीड क्लाइंबिंग की वर्ल्ड चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल हासिल किया. यही नहीं उन्होंने सबसे कम समय लेने का रिकॉर्ड कायम किया.
अब वे 2024 के पेरिस ओलंपिक के लिए भी जा रही हैं, इस बार पेरिस ओलंपिक में स्पीड क्लाइंबिंग को पहली बार शामिल किया जा रहा है.
वे इंडोनेशिया के ओलंपिक मेडल जीतकर इतिहास रच सकती हैं क्योंकि इंडोनेशिया को अभी तक केवल बैंडमिंटन, तीरंदाज़ी और भारोत्तोलन में ही मेडल मिल सका है.
ओलंपिक खिलाड़ी
वैसे तो कैमिला को हेप्टाथलान का महारथी कहा जाता है. लेकिन, असल में तो उन्हें 100 मीटर की बाधा दौड़ की वजह से टोक्यो ओलंपिक में भाग लेने का मौक़ा मिला था.
कैमिला पिरेल्ली, अपने देश में गुआरानी पैंथर के नाम से मशहूर हैं. उनके नाम एथलेटिक्स के कई रिकॉर्ड हैं. वो खेल की कोचिंग देने के साथ साथ अंग्रेज़ी भी पढ़ाती हैं.
कैमिला, पराग्वे के एक छोटे से क़स्बे में रहने वाले ऐसे परिवार में पली-बढ़ी हैं, जो पर्यावरण को लेकर बेहद जागरूक है. उन्होंने अपने इलाक़े में जलवायु परिवर्तन के असर को बड़े क़रीब से देखा है.
अब कैमिला इकोएथलीट चैंपियन हैं. इसका मतलब है कि वो अपने खेल के मंच का इस्तेमाल लोगों को जलवायु परिवर्तन के बारे में चर्चा करने और कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए क़दम उठाने का हौसला बढ़ाने को लेकर प्रतिबद्ध हैं.
मैं ऐसे क़स्बे में पैदा हुई, जहां जंगली जानवरों को देखना रोज़मर्रा की बात थी. चूंकि हम देख रहे हैं कि जलवायु परिवर्तन की वजह से ये जंगली जीव कष्ट झेल रहे हैं, इससे मुझे चिंता होती है और मदद करने की प्रेरणा भी मिलती है.
कैमिला पिरेल्ली
डीजे और म्यूज़िक प्रोड्यूसर
पिछले साल ईरान में विरोध प्रदर्शन शुरू होने से बहुत पहले से डीजे पारमिडा ईरानी मूल की महिलाओं पर लागू सांस्कृतिक पाबंदियों के ख़िलाफ़ संगीत रच रही थीं.
बर्लिन में रहने वाली पैरामिडा को अपनी किशोरावस्था में फ्रैंकफर्ट और तेहरान के बीच रहते हुए संगीत और नृत्य संस्कृति के प्रति अपने जुनून का पता चला.
प्रतिष्ठित नृत्य संगीत के इतिहास से प्रेरित होकर, उनका रिकॉर्ड लेबल लव ऑन द रॉक्स आज संगीत के ज़रिए नई संस्कृति को बढ़ावा दे रहा है.
बर्लिन में बर्गहेन के पैनोरमा बार की सदस्य के रूप में, वह विश्व स्तर पर लोकप्रिय डीजे और एक कुशल संगीत निर्माता बन गई हैं. वह अपनी जगह का इस्तेमाल पुरुष-प्रधान संगीत और नाइटलाइफ़ उद्योग में भेदभाव को चुनौती देने के लिए कर रही हैं.
अभिनेत्री
अमेरिका फेरेरा मनोरंजन की दुनिया का जाना-माना चेहरा हैं. वो पुरस्कार विजेता अभिनेत्री, निर्देशक और निर्माता हैं. उनको कई प्रमुख भूमिकाएं निभाने के लिए जाना जाता है. इनमें हाल ही में सारे रिकॉर्ड तोड़ने वाली फिल्म बार्बी के अलावा, रियल वुमेन हैव कर्व्स और हिट सिरीज़ अग्ली बेट्टी में किए गए उनके रोल शामिल हैं.
अग्ली बेटी में अपनी भूमिका के लिए एमी अवार्ड जीतने वाली वो सबसे युवा और लैटिन अमरीकी मूल की पहली कलाकर बनी थीं. लंबे समय से सामाजिक मुद्दों के लिए काम करने वाली अमेरिका फेरेरा, महिलाओं के अधिकारों और स्क्रीन पर महिलाओं की और अधिक नुमाइंदगी की पुरज़ोर वकालत करती रही हैं
अमेरिका फेरेरा, होंडुरास से आए अप्रवासी मां-बाप की बेटी हैं. वो अपने अलाभकारी संगठन पोडेरिस्टास के ज़रिए अमरीका में लैटिन अमरीकी मूल के लोगों की ज़िंदगी बेहतर बनाने का अभियान भी चलाती हैं.
एथलीट
यूरोपीय और कॉमनवेल्थ गेम्स में 4×100 मीटर दौड़ की गोल्ड मेडलिस्ट बियांका विलियम्स 2023 की यूरोपीय टीम चैंपियनशिप में ग्रेट ब्रिटेन और नॉर्दर्न आयरलैंड की कैप्टन थीं.
जुलाई में ब्रिटेन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में उन्होंने 200 मीटर की दौड़ में दूसरा स्थान प्राप्त किया जिससे बुडापेस्ट में होने वाली वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप के लिए ब्रिटिश टीम में उन्हें जगह मिली.
वह और उनके पार्टनर साथी एथलीट रिकॉर्डो डोस सांटोस को जुलाई 2020 में रोका गया और उनकी तलाशी ली गई.
विलियम्स और डोस सांटोस ने पुलिस पर नस्लीय भेदभाव बरतने का आरोप लगाते हुए औपचारिक शिकायत की. इसके बाद दो अधिकारियों को गंभीर दुर्व्यवहार का दोषी पाया गया और उन्हें इसके नतीजे में बर्ख़ास्त कर दिया गया.
फुटबॉलर
कैटालोनिया में पैदा हुईं मिडफ़ील्डर ऐताना भनमति ने इस साल अपने क्लब बार्सिलोना की ओर से स्पैनिश लीग और चैंपियंस लीग दोनों जीती.
लेकिन वह वर्ल्ड कप के दौरान सुपरस्टार बनीं, वह स्पेन की जीत का अभिन्न हिस्सा थीं जिन्होंने तीन गोल किए और प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट बनीं. 25 साल की ऐताना भनमति ने प्रतिष्ठित बैलों डी'ओर जीती और यूएफ़ा प्लेयर ऑफ़ द ईयर बनीं.
मैदान के अंदर और बाहर निडर रहने वाली ऐताना महिलाओं के लिए फ़ुटबॉल में समानता के लिए आवाज़ उठाती हैं.
उनके देश की वर्ल्ड कप जीत स्पैनिश फ़ुटबॉल फ़ेडरेशन के अध्यक्ष लुई रुबियालेस ने एक खिलाड़ी- येनी हेरमोसो- को होंठों पर चूम लिया जिससे विवाद पैदा हुआ और उनकी कामयाबी की चर्चा उसमें दब गई लेकिन ऐताना ने यूएफ़ा पुरस्कार लेने के बाद अपने धन्यवाद भाषण में अपनी टीम की खिलाड़ी का समर्थन किया. उन्होंने ऐसी चुनौतियों का सामना कर रहीं दूसरी महिलाओं का भी समर्थन किया.
साइन लैंग्वेज की कलाकार
दुनिया में सबसे ज़्यादा देखे जाने वाले खेल आयोजनों में से एक यानी इस साल फरवरी में हुए 57वें सुपर बॉल मुक़ाबले में जस्टिना माइल्स ने इतिहास रच दिया था.
बधिर कलाकार जस्टिना ने सुपर बॉल के दौरान, पॉप स्टार रिहाना के गानों को जोशीले और करिश्माई अंदाज़ में पेश करके, रिहाना के हिस्से की कुछ चमक चुरा ली थी.
सुपर बॉल के प्रतिष्ठित हाफ टाइम शो में परफॉर्म करके जस्टिना, अमरीकी साइन लैंग्वेग में पेशकश देने वाली पहली बधिर महिला बन गई थीं. इससे, पहले उन्होंने अमरीकी साइन लैंग्वेज में, ब्लैक एंथेम कहा जाने वाले गीत, 'लिफ्ट एवरी वॉयस ऐंड सिंग' को सुपर बॉल हाफ टाइम में गाया था. वो भी इस कार्यक्रम में पहली बार हुआ था.
जस्टिना माइल्स दुनिया को बधिर लोगों की अधिक प्रामाणिक नुमाइंदगी दिखाना चाहती हैं, और वो आने वाले समय में अपनी कला से बधिर नर्सों को ट्रेनिंग देना चाहती हैं.
अभिनेत्री
अभिनेत्री दीया मिर्जा ने न केवल भारतीय सिनेमा में अपनी भूमिकाओं के लिए पुरस्कार जीते हैं, बल्कि वह कई पर्यावरण और मानवीय सहायता परियोजनाओं का भी हिस्सा हैं.
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के सद्भावना राजदूत के रूप में, मिर्ज़ा जलवायु परिवर्तन, स्वच्छ हवा और वन्यजीव संरक्षण जैसे मुद्दों से जुड़े संदेशों को प्रचारित करती रही हैं.
वह प्रोडक्शन हाउस वन इंडिया स्टोरीज़ की संस्थापिका हैं, जिसका उद्देश्य प्रभावशाली कहानियाँ लोगों तक पहुँचाना है. दीया इन कहानियों के बारे में बताती हैं, "ये आपको रुकने और सोचने पर मजबूर करती हैं."
वह सेव द चिल्ड्रेन, इंटरनेशनल फंड फॉर एनिमल वेलफ़ेयर की राजदूत और सैंक्चुअरी नेचर फाउंडेशन की बोर्ड सदस्य भी हैं.
Kpop4Planet की संस्थापक
दाइयोन ली Kpop4Planet के ज़रिए के-पॉप (कोरियाई पॉप) के चाहने वालों को जलवायु संकट का सामना करने के लिए जोड़ रही हैं.
2021 में लॉन्च के बाद से इस अभियानी समूह ने दक्षिण कोरिया के सबसे बड़े मनोरंजन मंचों और स्ट्रीमिंग सेवाओं से जलवायु और नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में नए कदमों की पहल की है.
इस समूह ने प्लास्टिक अल्बम अपशिष्ट के पर्यावरणीय प्रभावों को उजागर किया है जिसने के-पॉप की बड़ी हस्तियों को डिजिटल अल्बम का रास्ता चुनने को तैयार किया है.
दाइयोन ली अब संगीत से आगे बढ़कर लग्ज़री फ़ैशन ब्रांड्स के जलवायु संबंधी संकल्पों को परख रही हैं जिसमें अक्सर के-पॉप की हस्तियां चेहरे के तौर पर सामने आती हैं.
सामाजिक न्याय के लिए खड़े होते समय बदलाव किए बिना हम चैन नहीं लेते. हमने इसे बार बार साबित किया है, और जलवायु संकट के खिलाफ लड़ना जारी रखेंगे.
दाइयोन ली
अभिनेत्री
पच्चीस साल पहले म्यांमार में अभिनेत्री के रूप में काम शुरू करने वाली खाइन हिन वाई 'सान ये' फ़िल्म में अपने लीड रोल से मशहूर हुईं. धीरे-धीरे वह बर्मी सिनेमा की सबसे सफल अभिनेत्रियों में शामिल हो गईं.
हालांकि अब वह अपनी परोपकारी गतिविधियों के लिए अधिक जानी जाती हैं. सन 2014 में उन्होंने खाइन हिन वाई फ़ाउंडेशन स्थापित किया. इस चैरिटी के कई काम हैं जिनमें अनाथ हुए और लावारिस छोड़ दिए गए बच्चों की देखरेख शामिल है.
वे फ़िलहाल उन 100 बच्चों की देखरेख कर रही हैं जिनके माता-पिता उनकी मदद नहीं कर पा रहे हैं.
खाइन हिन वाई बाल तस्करी रोकने के लिए दूत के रूप में भी काम करती हैं.
एक्वेस्ट्रियन वॉल्टर
जब एंतिनिस्का सेंसी तीस की उम्र के बाद एक्वेस्ट्रियन वॉल्टिंग शुरू की तो उन्हें इसका अंदाज़ा नहीं था कि दस साल बाद उस टीम के साथ दौरा कर रही होंगी जो घोड़े की पीठ पर जिमनास्टिक की प्रैक्टिस करती है.
उत्तरी इटली के ला फ़ेनिस से शुरुआत करने वाली सेंसी के लिए जीवन आसान नहीं था. जन्म के समय हुई दिक़्क़तों के बाद उनकी मां से कहा गया था कि सेंसी पहले जाड़े के बाद नहीं बच पाएंगी.
सेंसी ने वॉल्टिंग करने की शुरुआत स्थानीय एएनएफ़एफ़एएस (विकलांग लोगों के लिए इटली के राष्ट्रीय संघ) और ला फ़ेनिस टीम के साथ की.
अब वह विश्व चैंपियन वॉल्टर अन्ना कावालारो और ट्रेनर नेल्सन विडोनी के साथ ट्रेनिंग लेती हैं.
टेलीविज़न पर्सनालिटी
तस्वीरों और वीडियो के साथ छेड़छाड़ करके होने वाले यौन दुर्व्यवहार का शिकार बनने के बाद जॉर्ज हैरिसन ने फ़ैसला किया कि वह अपनी कहानी का इस्तेमाल महिलाओं के विरुद्ध हिंसा से निपटने में करेंगी और ब्रिटेन में सहमति को जिस रूप में देखा जाता है उसमें बदलाव लाएंगी.
लव आइलैंड' और 'दी ओनली वे इज़ एसेक्स' जैसे टीवी शो में आने वाली जॉर्जिया ने ब्रिटेन के ऑनलाइन सुरक्षा बिल में संशोधन के लिए अभियान चलाया ताकि निजी क्षणों की तस्वीर के ग़लत इस्तेमाल के मामले में आसानी से मुक़दमा चलाया जा सके.
हैरिसन अब इस बात का अभियान चला रही हैं कि जो ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म बिना अनुमति के फ़ुटेज या तस्वीर जारी करते हैं उन्हें कड़े नतीजों का सामना करना पड़े.
महिलाओं के खतने (FGM) के ख़िलाफ़ अभियान चलाने वाली
महिलाओं के खतने (Female Genital Mutilation) की परंपरा को जड़ से मिटाने का मज़बूत इरादा रखने वाली शम्सा अरावीलू, अपने ताक़तवर और सीधी बात कहने वाले ऑनलाइन वीडियो के ज़रिए जागरूकता फैलाती हैं.
शम्सा अरावीलू का जन्म सोमालिया में हुआ था, मगर अब वो ब्रिटेन में रहती हैं. छह साल की उम्र में उनका खतना किया गया था. इस प्रक्रिया के दौरान, लड़कियों के जननांगों के एक हिस्से को काटकर अलग कर दिया जाता है.
टिक-टॉक पर उनके वीडियो को सात करोड़ से ज़्यादा व्यू मिल चुके हैं. शम्सा चाहती हैं कि इस मामले में कोई भी जानकारी से वंचित न रह जाए.
अब वो विदेश में फंसे उन ब्रिटिश नागरिकों की मदद करती हैं, जिनको वो परंपरा के नाम पर हिंसा की शिकार कहती हैं. शम्सा, लंदन की मेट्रोपॉलिटन पुलिस को महिलाओं के खतने के बारे में सलाह देती हैं और अब वो दि हीलिंग गार्डेन के नाम से एक कल्याणकारी संस्था खोलने जा रही हैं.
महिला अधिकार और जलवायु कार्यकर्ता
नज्ला अलमसर लाइब्रेरी सेंटर की संस्थापक हैं. वो दक्षिणी पश्चिमी अल्जीरिया के सहारवी शरणार्थी शिविरों में रह रही महिलाओं और बच्चों को सेहत और पर्यावरण के मामले में शिक्षित करती हैं.
नज्ला मुहम्मद-लमीन मूल रूप से पश्चिमी सहारा की रहने वाली हैं, जो पहले स्पेन का उपनिवेश था और 1975 से मोरक्को के क़ब्ज़े में है. हिंसा से बचने के लिए जब उनका परिवार भागा, तो उन सबको देश छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया गया.
शरणार्थी शिविरों में पली बढ़ी नज्ला ने किशोर उम्र में अंग्रेज़ी सीखी और वो विदेशी प्रतिनिधिमंडलों के लिए अनुवाद का काम करने लगीं. बाद में वो चंदे से फीस जुटाकर विदेश में पढ़ाई करने में सफल रहीं.
टिकाऊ विकास और महिलाओं के विषयों में पढ़ाई करने के बाद, नज्ला उन्हीं शरणार्थी शिविरों में लौट आईं, जहां उनका बचपन गुज़रा था. जिससे वो खाने और पानी की किल्लत से जूझ रहे दो लाख से ज़्यादा सहरावी शरणार्थियों की मदद कर सकें. जलवायु परिवर्तन ने इन शरणार्थियों की मुसीबतें और बढ़ा दी हैं.
हमें रेगिस्तानी इलाक़ों में जलवायु परिवर्तन के बढ़ते असर का मुक़ाबला करना ही होगा. अक्सर हमारे घर बाढ़ और रेतीले तूफ़ानों में तबाह हो जाते हैं, और हमारे लोगों को भयंकर गर्मी की चुनौती से भी जूझना पड़ता है. और उन पर ये ज़ुल्म तब हो रहा है, जब ये जलवायु संकट पैदा करने में उनकी कोई भी भूमिका नहीं रही है.
नज्ला अलमसर
वकील, लेखिका और कार्यकर्ता
अमेरिका की पूर्व फ़र्स्ट लेडी मिशेल ओबामा गर्ल्स ऑपरट्यूनिटी एलायंस की संस्थापिका हैं. यह संस्था दुनिया भर में लड़कियों की शिक्षा के लिए ज़मीनी स्तर पर काम करने वाली संस्थाओं की मदद करती है.
इस संस्था के तहत मिशेल ओबामा ने फ़र्स्ट लेडी रहते हुए लेट गर्ल्स लर्न इनिशिएटिव शुरू किया था. ये इनिशिएटिव दुनिया भर की किशोरवय लड़कियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए काम करती है.
फर्स्ट लेडी के तौर पर मिशेल ओबामा ने तीन अन्य प्रमुख इनिशिएटिव शुरू किए थे- लेट्स मूव जिसके ज़रिए माता-पिता को अपने बच्चे को स्वस्थ रखने के लिए प्रेरित किया जाता है. ज्वाइनिंग फोर्सेज को अमेरिकी सेवा के कर्मचारी, वरिष्ठ अधिकारियों और उनके परिवारों से मदद मिली जबकि रीच हाइयर के लिए मिशेल आज भी काम करती हैं, यह किशोरों की उच्च शिक्षा के लिए काम करती है.
वकील और मानवाधिकार कार्यकर्ता
1990 की शुरुआत में पूर्व यूगोस्लाविया में जबसे लड़ाई छिड़ी, नताशा कंडिच ने बलात्कार, शोषण और अपहरण करने के मामलों का दस्तावेज़ तैयार किया है.
उन्होंने युद्ध अपराध कोर्ट, बेलग्रेड में विभिन्न नस्लों के परिवारों का केस लड़ा है. वह उस समूह में भी थीं जिसने सर्बिया के निरंकुश नेता स्लोबोदान मिलोसेवोच की सरकार की कोसोवो नीति की गहन जांच की थी.
कंडिच ह्यूमैनिटेरियन लॉ सेंटर की संस्थापक हैं जिसकी अक्सर युद्ध अपराधों की निष्पक्ष जांच के लिए प्रशंसा होती है.
उन्होंने रिकॉम नाम के समझौता नेटवर्क की स्थापना में मदद की जिसका मक़सद बाल्कन युद्ध के बारे में तथ्यों को स्थापित करना है, जिसमें एक लाख तीस हज़ार लोग मारे गए थे.
हाउसिंग कैंपेनर
नेपाल की स्थानीय नेवा जातीय समूह की सदस्य ट्रांसजेंडर मानव अधिकार कार्यकर्ता रुख़साना कपाली जब बड़ी हो रही थीं तो उन्हें अपनी पहचान के बारे में कहीं से कोई जानकारी हासिल नहीं हो रही थी.
उन्होंने जेंडर और सेक्सुअलिटी की विविधता के बारे में स्व-शिक्षा का रास्ता चुना. किशोर उम्र से वह समलैंगिक अधिकारों के लिए सोशल मीडिया पर मुखर रही हैं.
वह इस समय क़ानून की तीसरे वर्ष की छात्रा हैं और नेपाल में एलजीबीटीक्यू+ लोगों के क़ानूनी और संवैधानिक अधिकारों के काम से जुड़ी हुई हैं.
कपाली नेवा जातीय समूह के ऐतिहासिक रूप से हाशिए पर रही जूगी जाति से आती हैं और जूगी लोगों को उनके परंपरागत घरों से जबरन बाहर निकालने के ख़िलाफ़ लड़ती हैं.
मूल निवासियों की अधिकार कार्यकर्ता
एलिशिया, इक्वेडोर में अमेज़न के वर्षावनों के संरक्षण की लड़ाई लड़ने वाला प्रमुख चेहरा हैं. इस साल उन्होंने बड़ी जीत हासिल की है.
अगस्त में हुए एक ऐतिहासिक जनमत संग्रह में इक्वेडोर के लोगों ने यासुनी नेशनल पार्क में तेल के सभी कुओं से तेल निकालने का काम बंद करने के पक्ष में फ़ैसला दिया. इस फ़ैसले का नतीजा ये होगा कि दुनिया के सबसे ज़्यादा जैव विविधता वाले इलाक़ों में से एक यासुनी में राज्य की तेल कंपनी अपना काम बंद कर देगी. इस इलाक़े में ऐसे आदिम निवासी रहते हैं, जिनसे बाहरी दुनिया का अब तक कोई संपर्क नहीं हुआ है.
एलिशिया काउइया का जन्म यासुनी में हुआ था और वो वाओरानी नेशन (NAWE) की नेता हैं. वो पिछले एक दशक से इस जनमत संग्रह के लिए प्रचार अभियान चला रही थीं.
इस वक़्त एलिशिया, इक्वेडोर के आदिम निवासियों के परिसंघ के महिला विभाग की प्रमुख हैं.
जलवायु परिवर्तन ने हमारे लिए चीज़ों को बहुत कुछ बदल डाला है, जिससे बाढ़ आती है और हमारी फ़सलें तबाह हो जाती हैं. जब सूरज बहुत गर्म होता है और सूखा पड़ता है, तो हमारे खाने का एक बड़ा हिस्सा बर्बाद हो जाता है, जिससे हमें बहुत दु:ख होता है, क्योंकि वो फ़सल उगाने में की गई हमारी सारी मेहनत बेकार हो जाती है.
एलिशिया काउइया
फ़ायर फ़ाइटर
सोफिया मूल रूप से ओपेरा गाने सिखाती थीं. मगर 2010 में जब वो आग बुझाने वालों की एक टोली से मिलीं, तो सोफिया को लगा कि ये काम उनके लिए बेहतर रहेगा.
इसके बाद सोफिया ख़ुद आग बुझाने का काम करने लगीं ,और उन्होंने रूस में जंगल की आग से लड़ने के लिए स्वयंसेवकों को ट्रेनिंग देने वालों का एक समूह बनाया. उनकी कोशिशों से पूरे रूस में ऐसे स्वयंसेवकों के 25 से ज़्यादा समूह बन गए.
सोफिया ने पूरे रूस में सैकड़ों बार आग लगने की घटनाओं का मुक़ाबला करके आग पर क़ाबू पाया है. वो ग्रीनपीस के साथ मिलकर भी काम कर रही थीं. लेकिन जब रूस की सरकार ने ग्रीनपीस को 'अवांछनीय संगठन' घोषित कर दिया, तो ग्रीनपीस की रूस की शाखा बंद कर दी गई.
सोफिया कोसाचेवा ने जंगल की आग से लड़ने वाले स्वयंसेवियों के लिए एक वेबसाइट भी बनाई है, जिसे रूसी भाषा में जंगल की आग से जुड़ी जानकारियों और उन पर क़ाबू पाने के तौर तरीक़ों के मामले में सबसे पुख़्ता और संपूर्ण ऑनलाइन डेटाबेस कहा जाता है.
जलवायु संकट कितना भी भयावाह क्यों न हो, हर बड़ी उपलब्धि एक छोटी कामयाबी से शुरू होती है. हो सकता है कि ये लगे कि हम विश्व स्तर पर कोई बदलाव लाने के लिए अदना से लोग हैं लेकिन, हमें उन बदलावों से शुरुआत करनी चाहिए, जो हम अपने आस-पास ला सकते हैं.
सोफिया कोसाचेवा
मानवाधिकार वकील
अमाल क्लूनी एक सम्मानित मानवाधिकार वकील हैं. वह बीते दो दशकों से उन लोगों के लिए काम कर रही हैं, जिन्हें न्याय नहीं मिला है.
उनके प्रमुख मामलों में अर्मेनिया और म्यानमार में नरसंहार का मुकदमा, मलावी और कीनिया में महिलाओं के साथ यौन हिंसा का मामला और यूक्रेन में मानवता के ख़िलाफ़ अपराध जैसे मामले शामिल हैं.
उनकी हाल की कामयाबियों में इस्लामिक स्टेट के एक लड़ाके और दारफुर के एक मिलिशिया सरगना के पीड़ितों का प्रतिनिधित्व करना शामिल है. उन्होंने दमनकारी प्रशासन की ओर से निशाना बनाए गए पत्रकारों और अन्य राजनीतिक कैदियों को स्वतंत्र कराने के लिए भी काम किया है.
वह कोलंबिया लॉ स्कूल में सहायक प्रोफेसर और क्लूनी फाउंडेशन फॉर जस्टिस की सह-संस्थापक हैं, जो 40 से अधिक देशों में मानवाधिकार उल्लंघन के पीड़ितों को मुफ्त क़ानूनी सहायता मुहैया कराती है.
राजनीतिक कार्यकर्ता
एक निडर कैंपेनर के रूप में बेला गलहोस ने पूर्वी तिमोर (तिमोर लेस्टे) के बदलाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है- 2002 में इंडोनेशिया से आज़ादी मिलने के बाद और उससे पहले भी.
निर्वासन के वर्षों में उन्होंने दुनिया भर का दौरा कर अपने लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार की वकालत की. आज़ादी मिलने पर पूर्वी तिमोर लौटने के बाद गलहोस देश के पुनर्निर्माण में लगी हुई हैं जहां की आधी आबादी दशकों के संघर्ष के कारण ज़बर्दस्त ग़रीबी झेल रही है.
उन्होंने 2015 में ल्यूबलोरा ग्रीन स्कूल खोला जो टिकाऊ विकास को बढ़ावा देता है और बच्चों को बदलाव का वाहक बनने की प्रेरणा देता है.
गलहोस वर्तमान में पूर्वी तिमोर के राष्ट्रपति के सलाहकार के रूप में काम कर रही हैं. उनका ध्यान महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण पर है. वह एलजीबीटीक्यू+ समुदाय की प्रखर आवाज़ हैं.
मंत्री
सोनिया गुअजाजारा, ब्राज़ील के मूल निवासियों के अधिकारों की मांग करने वाले उस आंदोलन का एक प्रमुख चेहरा हैं, जिसका दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है. 2023 में सोनिया गुअजाजारा देश के मूल निवासियों के लिए पहली मंत्री नियुक्त की गई थीं. इसे नवनिर्वाचित राष्ट्रपति लुला डा सिल्वा का ऐतिहासिक कदम करार दिया गया था.
सोनिया ने पर्यावरण के प्रति अपराधों से जंग को अपनी प्राथमिकताओं में सबसे अहम बनाने का वादा किया था.
सोनिया गुअजाजारा, अमेज़न क्षेत्र के अरारीबोइया इलाक़े में अनपढ़ मां-बाप के यहां पैदा हुई थीं. उन्होंने जलवायु परिवर्तन से तबाह होते इकोसिस्टम के मंज़र अपनी आंखों से देखे थे.
सोनिया ने साहित्य की पढ़ाई करने के लिए अपना घर छोड़ दिया था. बाद में उन्होंने नर्स और टीचर के तौर पर भी काम किया, और इसी दौरान उन्होंने अधिकारों के लिए आवाज़ उठाने की शुरुआत की. 2022 में सोनिया, साओ पाउलो राज्य से चुनी जाने वाली पहली आदिवासी संसद सदस्य बनी थीं.
हमें सोचना होगा कि जलवायु के मामले में इंसाफ़ देने को किस तरह आगे बढ़ाना है, और पर्यावरण के नस्लवाद के ख़िलाफ़ किस तरह लड़ना है. क्योंकि, पर्यावरण को सबसे अच्छे से वही लोग सहेज सकते हैं जो इसकी तबाही से सबसे पहले और सबसे ज़्यादा प्रभावित होते हैं. हम मूल निवासी लोग, जैव विविधता और जीवन के असली संरक्षक हैं.
सोनिया गुअजाजारा
पूर्व सैन्य अधिकारी
रीना गोनोई जब 11 वर्ष की थीं तो उन्हें महिला सैनिकों ने 2011 में जापान में आए भयानक भूकंप और सूनामी के बाद बचाकर निकाला था. तब उन्होंने जापान की सेल्फ डिफ़ेंस फोर्सेज़ में सेवा देने का सपना देखा था.
वह एक अधिकारी बन गईं लेकिन उनके बचपन का सपना चकनाचूर हो गया क्योंकि उन्हें हर दिन यौन प्रताड़ना का शिकार होना पड़ता था.
गोनोई ने 2022 में सेना छोड़ दी और जवाबदेही के लिए एक सार्वजनिक अभियान शुरू किया, पुरुष वर्चस्व वाले समाज में यह एक मुश्किल काम था जहां यौन प्रताड़ना झेलने वाली महिलाओं को बोलने की क़ीमत चुकानी पड़ती है.
उनके मामले ने सेना को आंतरिक जांच के लिए मजबूर किया जिसके बाद 100 से अधिक प्रताड़ना के मामले दर्ज किए गए. बाद में रक्षा मंत्रालय ने गोनोई से माफ़ी मांगी.
सांसद
2019 में डेहेन्ना, बिशप ऑकलैंड से चुनाव जीतने वाली कंज़रवेटिव पार्टी की पहली सांसद बनी थीं. ब्रिटिश संसद की ये सीट 1885 में अस्तित्व में आई थी. 2022 में इस उपलब्धि के एवज़ में उन्हें मंत्री बनाया गया. वो ख़ास तौर से सामाजिक प्रगति और पुनरुत्थान के लिए काम करती हैं.
उन्होंने सितंबर 2023 में मंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया. उन्होंने असाध्य माइग्रेन रोग को अपने इस्तीफ़े की वजह बताया था.
जब वो 13 बरस की थीं, तब डेहेन्ना के पिता की हत्या कर दी गई थी. उनकी हत्या सीने में पूरी ताक़त से एक घूँसा मारे जाने की वजह से हुई थी. इस घटना ने उन्हें राजनीति में जाने की प्रेरणा दी. उन्होंने वन पंच एसॉल्ट्स पर संसद के एक सर्वदलीय समूह का गठन किया. न्याय और सज़ा की व्यवस्था में सुधार लाने के लिए डेहन्ना, वन पंच यूके के साथ मिलकर अभियान चलाती हैं.
वो बार बार होने वाले माइग्रेन के इलाज की व्यवस्था सुधारने के लिए भी आवाज़ उठाती रहती हैं. इसके अलावा डेहन्ना, इनवैसिव लोब्यूलर कैंसर के क्षेत्र में रिसर्च के लिए और फंड जुटाने के अभियान से भी जुड़ी हुई हैं.
शरणार्थियों के अधिकार के लिए अभियान चलाने वाली कार्यकर्ता
दोस्ती नेटवर्क एक ऐसा संगठन है, जो अफ़ग़ानिस्तान और दूसरे देशों में पनाह लेने वाले अफ़ग़ान नागरिकों को अहम संसाधन और जानकारी मुहैया कराता है. इसकी शुरुआत 2021 में मुल्क पर तालिबान के दोबारा क़ाबिज़ होने के बाद की गई थी.
दोस्ती नेटवर्क की स्थापना करने वाली सुम्मिया ख़ुद भी एक अफ़ग़ान शरणार्थी हैं. इसलिए, वो उन चुनौतियों को बख़ूबी समझती हैं, जो दर-बदर होने वालों को झेलनी पड़ती हैं.
सुम्मिया शरणार्थियों को दोबारा बसाने और संघर्ष से प्रभावित छात्रों को पढ़ाई की सुविधा दिलाने के लिए काम करती हैं.
पढ़ाई की इंक़लाब लाने वाली ताक़त को समझते हुए सुम्मिया तोरा ने संयुक्त राष्ट्र और विश्व बैंक, मलाला फंड और श्मिट फ्यूचर्स जैसे संगठनों के साथ मिलकर काम किया है. इन साझेदारियों के ज़रिए सुम्मिया, ख़ास तौर से आपातकालीन परिस्थितियों में शरणार्थियों, महिलाओं और लड़कियों को पढ़ाई की सुविधा दिलाने की वकालत करती हैं.
विकलांगता अधिकार कैंपेनर
हीरो वीमेन राइज़िंग' नाम के नेटवर्क का मक़सद कांगो में महिलाओं और किशोरियों का जीवन स्तर बेहतर करना है.
विकलांगता अधिकार कार्यकर्ता नीमा नामादामू इस जमीनी संगठन की स्थापना की है, जो शिक्षा और तकनीक से महिलाओं की आवाज़ बुलंद करता है और उन्हें उनके अधिकारों के प्रति जागरुक बनाता है.
पूर्वी कांगो के दूर-दराज़ इलाक़े में पैदा हुई नामदामू को दो साल की उम्र में पोलियो हो गया था. विकलांग होते हुए यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन करने वाली वह अपनी जातीय समूह की पहली महिला थीं.
वह संसद की सदस्य बनीं और देश की परिवार कल्याण मंत्री की सलाहकार रही हैं.
वकील
येल ट्रेनिंग से वकील हैं और शांति के लिए अभियान चलाती हैं, उनके संगठन में 50 हज़ार से अधिक सदस्य हैं जो ज़मीनी स्तर पर शांति के लिए काम करते हैं.
येल 'वीमेन वेज पीस' नाम के संगठन की सह-संस्थापक हैं. वे मानती हैं कि इसराइल और फ़लस्तीनियों के बीच जारी टकराव को समझौते के ज़रिए रोकने में महिलाएँ अहम भूमिका निभा सकती हैं.
पिछले दो साल से उनकी संस्था फ़लस्तीनी महिलाओं के संगठन 'वीमेन ऑफ़ द सन' के साथ कर रही है.
वे संगठन की सह संस्थापक विवियन सिल्वर को अपना मार्गदर्शक बताती हैं. विवियन इसराइल की नामी शांति समर्थक कार्यकर्ता हैं. विवयन ने शांति और आपसी समझदारी को बढ़ावा देने के लिए दशकों से अपना जीवन लगाया है. इसी साल 07 अक्तूबर को विवियन की हत्या हमास के एक हमले में हो गई.
politics4her की संस्थापिका
जेंडर समानता के लिए समर्पित यास्मीना बेनस्लीमाने ने politics4her की स्थापना की है जो युवा महिलाओं और लड़कियों को इस बात के लिए प्रेरित करता है कि वह राजनीति और निर्णय लेने की प्रक्रिया में भागीदारी निभाएं.
सितंबर में जब उनके देश मोरक्को में ज़बर्दस्त भूकंप आया तो यास्मीना बेनस्लीमाने और उनके संगठन ने राहत कार्यों में लैंगिक संवेदनशीलता की मांग की.
उन्होंने उन चुनौतियों के बारे में एक मैनिफ़ेस्टो प्रकाशित किया जिनका विशेष तौर पर महिलाओं और लड़कियों को सामना करना पड़ता है, जैसे मासिक के दौरान की समस्या और जबरन शादी, जो भूकंप जैसी आपदा के बाद बढ़ जाती हैं.
कई नॉन-प्रॉफ़िट संगठनों की मेंटॉर, सलाहकार और बोर्ड मेंबर यास्मीना बेनस्लीमाने युवा महिलाओं को नेतृत्व क्षमता बढ़ाने में मदद करती हैं. उनके काम के कारण उन्हें संयुक्त राष्ट्र का शांति-निर्माता अवार्ड मिला है.
बाल विवाह के विरुद्ध अभियान
योलांडा माउंटम्बा मलावी के लिलोंग्वे में अपने समुदाय के भीतर पलीं-बढ़ीं. इस समुदाय में महिलाओं की शिक्षा को बहुत अहमियत नहीं दी जाती है, लड़कियों को 18 साल की उम्र से पहले शादी करने के लिए स्कूल छोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है.
माउंटम्बा ने समुदाय की यथास्थिति को चुनौती दी और न केवल विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की, बल्कि मास्टर डिग्री भी प्राप्त की.
वह मौजूदा क़ानूनों को लागू करने की वकालत करती हैं जो लड़कियों को कम उम्र में शादी से बचाते हैं, साथ ही, कम उम्र में गर्भधारण से जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों को दूर करने के लिए निवेश बढ़ाने की भी वकालत करती हैं.
वह वर्तमान में एजीई अफ्रीका के लिए मलावी में कंट्री डायरेक्टर के रूप में काम करती है. इस संगठन का उद्देश्य अफ्रीका में सभी लड़कियों के लिए माध्यमिक विद्यालय की एकसमान पहुंच सुनिश्चित करना है.
पत्रकार
टीवी प्रजेंटर तामार मुसेरिद्ज़े यानी तमुना 18 साल की उम्र से ही जॉर्जिया के सार्वजनिक प्रसारण नेटवर्क पर एक जाना-पहचाना चेहरा थीं, लेकिन जब 31 साल की उम्र में उन्हें पता चला कि उन्हें गोद लिया गया था, तो उनका जीवन काफ़ी बदल गया.
उन्होंने अपने जैविक माता-पिता की खोज के लिए सब कुछ छोड़ दिया और अपने शोध के दौरान उन्हें इस बात के सबूत मिले कि 1950 के दशक से जॉर्जिया में बड़े पैमाने पर अवैध तरीक़े से बच्चे को गोद लेने का काम चल रहा था.
उन्होंने फेसबुक ग्रुप "आई एम सर्चिंग" की स्थापना की, जिससे अवैध तरीक़े से गोद लेने के बारे में राष्ट्रीय चर्चा शुरू हो गई, जिसमें ज़्यादातर प्रसूति अस्पतालों से लिए गए बच्चे शामिल हैं.
मुसेरिद्ज़े के संगठन ने लगभग 800 परिवारों को फिर से एकजुट करने में मदद की है, लेकिन उन्हें अभी भी अपने परिवार की तलाश है.
पूर्व नेता और शांति वार्ताकार
उत्तरी आयरलैंड के गुड फ़्राइडे समझौते को इस साल 25 वर्ष पूरे हो रहे हैं. मोनिका मैकविलियम्स ने एक प्रमुख वार्ताकार के रूप में उस बहुदलीय शांति वार्ता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई इसके बाद यह समझौता हो पाया.
उन्होंने नॉर्दर्न आयरलैंड वीमेन कोलिशन की सह-स्थापना की. यह ऐसा राजनीतिक दल है जिसने जातीय अंतर को मिटाया और शांति समझौते में महत्वपूर्ण प्रावधान शामिल किए.
वह पहले नॉर्दर्न आयरलैंड लेजिसलेटिव असेंबली में चुनी गईं और नॉर्दर्न आयरलैंड ह्यूमन राइट्स कमिशन की चीफ़ कमिश्नर के तौर पर बिल ऑफ़ राइट्स फॉर नॉर्दर्न आयरलैंड का मसौदा तैयार किया.
मैकविलियम्स फ़िलहाल सशस्त्र समूहों को समाप्त करने की कमिश्नर के तौर पर काम कर रही हैं. उन्होंने महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा पर काफ़ी कुछ लिखा है.
लेखक और कलाकार
सेपिदेह राश्नु को ईरान में अनिवार्य हिजाब क़ानून का खुलकर विरोध करने के कारण जाना जाता है.
एक बस में उस महिला के साथ विवाद होने के बाद उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया जो सबका सिर ढंकवा रही थी.
अपनी हिरासत के दौरान ही उन्होंने टीवी पर आकर अपने आचरण के लिए 'माफ़ी' मांगी. यह जुलाई 2022 की बात है, कुछ हफ़्ते पहले ही 22 वर्षीय महसा अमीनी की ईरान की मोरालिटी पुलिस की हिरासत में मौत हो गई थी.
इस साल की शुरुआत में राश्नू को अपनी बिना हिजाब तस्वीर ऑनलाइन शेयर करने के लिए मुक़दमे का सामना करना पड़ा था. वह कहती हैं कि उनकी एक्टिविज़्म के कारण उन्हें यूनिवर्सिटी से निलंबित कर दिया गया है.
वह फ़िलहाल क़ैद से बाहर हैं और अनिवार्य हिजाब क़ानून का उल्लंघन करती रहती हैं.
नारीवादी लीडर
1970 के दशक से ही वैश्विक नारीवादी आंदोलन की नेता के रूप में दुनिया भर में पीढ़ियों से ग्लोरिया स्टीनम के योगदान को रेखांकित किया जाता रहा है.
स्टीनम ने एक कार्यकर्ता, पत्रकार, लेखक, व्याख्याता और मीडिया प्रवक्ता के रूप में समानता के मुद्दों पर काम किया है.
उन्होंने एमएस मैगज़ीन की सह-स्थापना भी की, जो पहली बार 1971 में प्रकाशित हुई और आज भी प्रकाशन में है. यह पत्रिका महिला अधिकार आंदोलन के मुद्दों को मुख्यधारा में लाने वाली अमेरिका की पहली पत्रिका मानी जाती है.
89 साल की उम्र में स्टीनम ने महिला मीडिया सेंटर, ईआरए कॉलिशन और इक्वेलिटी नाउ जैसे नामी संगठनों के साथ अधिक न्यायसंगत दुनिया बनाने की दिशा में अपना काम जारी रखा है.
जलवायु नीति की सलाहकार
इरीना स्तावचुक, जलवायु नीति की अग्रणी विशेषज्ञों में से एक हैं. हाल ही में वो यूक्रेन की प्रोग्राम मैनेजर के तौर पर यूरोप के क्लाइमेट फाउंडेशन में शामिल हुई हैं. उनका मुख्य लक्ष्य, युद्ध के बाद अपने देश के लिए जलवायु परिवर्तन सह सकने वाले हरित समाधान तलाशना है.
ये भूमिका अपनाने से पहले इरीना ने 2019 से 2022 तक यूक्रेन की सरकार में उप-पर्यावरण मंत्री के तौर पर काम किया था. वो अपने देश की जलवायु परिवर्तन की नीतियों, यूरोप के साथ एकीकरण, अंतरराष्ट्रीय संबंधों और जैव विविधिता के लिए ज़िम्मेदार थीं.
इरीना स्तावचुक, पर्यावरण के लिए काम करने वाले दो प्रमुख स्वयंसेवी संगठनों (NGO) की सह-संस्थापक भी हैं. उनके नाम इकोएक्शन और किएव साइकिलिस्ट एसोसिएशन (U-Cycle) हैं. इरीना ने जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में काम कर रहे नागरिक संगठनों के क्षेत्रीय नेटवर्कों के बीच तालमेल बनाने की ज़िम्मेदारी भी निभाई है.
हमारा काम ये है कि हम जिस जगह और हालात में हों, वहां बेहतर से बेहतर करें. मैं असीसी के संत फ्रांसिस के इन शब्दों का पालन करती हूं: 'शुरुआत उससे करें, जो ज़रूरी हो; उसके बाद जो मुमकिन हो, वो करें; और आख़िर में आप देखेंगे कि आप असंभव को संभव बनाने लगे हैं.'
इरीना स्तावचुक
लापता लोगों के परिवारों की वकालत करने वाली
2008 में अपनी बहन के लापता होने के बाद बर्नाडेट स्मिथ लगातार जवाब खोजने की कोशिश करती रहीं.
वो पूरे कनाडा में मूल निवासियों की लापता और क़त्ल होने वाली लड़कियों के परिजनों की आवाज़ उठाने वाली अग्रणी कार्यकर्ता बन गईं. बर्नाडेट ने इन लोगों के लिए मिल-जुलकर काम करने और जवाब तलाशने के लिए एक गठबंधन बनाया.
बर्नाडेट ने ड्रैग दि रेड नाम से एक संगठन भी बनाया, जो विनीपेग की रेड रिवर में लाशों या फिर लापता लोगों से जुड़े सबूतों की तलाश करता है.
हाल ही में बर्नाडेट स्मिथ को तीसरी बार मैनिटोबा की एसेंबली का सदस्य चुना गया. और, उन्होंने तब इतिहास रच दिया जब मैनिटोबा प्रांत की कैबिनेट में पहली बार मूल निवासी समुदाय की तरफ से बर्नाडेट के साथ आदिम निवासी समुदाय की एक और महिला को मंत्री बनाया गया. अभी वो, मैनिटोबा की सरकार में आवास, नशे की लत और बेघरों से जुड़े मामलों की मंत्री हैं.
हाउसिंग कैम्पेनर
मियामी के लिटिल हैती के पड़ोस में रहने वाली मैडम रेनिटा होम्स 'आवर होम्स' की संस्थापक निदेशक हैं. 'आवर होम्स' अमेरिका के फ्लोरिडा में एक बिज़नेस और प्रॉपर्टी कंसल्टिंग संस्था है.
वह हाशिए के समुदायों के घर हासिल करने के अधिकार के लिए अभियान चलाती हैं. इनमें वह भी शामिल होते हैं जो जलवायु परिवर्तन के कारण विस्थापित होते हैं क्योंकि समुद्र तल बढ़ने से समुद्र किनारे से दूर ज़मीन की क़ीमत बढ़ती है.
होम्स की मां ने सिंगल मदर के तौर पर उन्हें पाला-पोसा जिनके ग्यारह बच्चे थे. होम्स अब बुज़ुर्ग और विकलांग हो चुकी हैं.
वह क्लेओ इंस्टीट्यूट के एंपावरिंग रीज़िलियंट वुमन प्रोग्राम की फ़ेलो हैं. इस प्रोग्राम का मक़सद विज्ञान आधारित शिक्षा से जलवायु परिवर्तन संबंधी कदम उठाना है. वह स्थानीय हाउसिंग एजेंसियों को शहर की महिलाओं तक पहुँचने में मदद करते हैं.
धरती मां के साथ महिला के रूप में हमारे जुड़ाव को स्वीकारना उम्मीद जगाता है. हम जुझारू और मज़बूत हैं. हम विकसित होने के लिए बने हैं. हम पहल करते हैं और ध्यान रखते हैं.
रेनिटा होम्स
मानवाधिकार कार्यकर्ता
डेनिश-बहरैनी मानव अधिकार अभियानी मरियम अल ख़्वाजा बहरैन और खाड़ी क्षेत्र में राजनीतिक सुधारों के लिए एक प्रखर आवाज़ हैं.
उनके काम का मक़सद मानव अधिकार उल्लंघन को प्रकाश में लाना है. विशेष तौर पर अपने पिता अब्दुल हादी अल ख़्वाजा की #FreeAlKhwaja रिहाई के लिए अभियान चलाना उनके काम में शामिल है. उनके पिता एक प्रमुख एक्टिविस्ट क़ैदी हैं जो 2011 में बहरैन के लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनों में हिस्सा लेने के बाद आजीवन क़ैद की सज़ा काट रहे हैं.
अल ख़्वाजा 'सिविकस' और 'इंटरनेशनल सर्विस फॉर ह्यूमन राइट्स' सहित कई समितियों में रही हैं. वह युवा नारीवादी संगठन एफ़आरआईडीए और फ़िज़िशियंस फ़ॉर ह्यूमन राइट्स में भी शामिल रही हैं.
एग फ़्रीज़िंग कैंपेनर
वह 2018 में बीजिंग के एक सरकारी अस्पताल में अपने अंडाणु सुरक्षित करना चाहती थीं. शू ज़ाओज़ाओ सिंगल वुमन हैं और उनसे कहा गया कि चीन में यह सुविधा केवल विवाहित जोड़ों को मिलती है.
उन्होंने अस्पताल को कोर्ट में चुनौती दी जो चीन में अंडाणु फ़्रीज़ करने के अविवाहित महिला के अधिकार के लिए पहली क़ानूनी चुनौती थी.
दिसंबर 2019 में हुई यह महत्वपूर्ण क़ानूनी लड़ाई देश में अविवाहित महिलाओं के अधिकारों को लेकर सुर्ख़ियों में रही.
इस केस में अंतिम फ़ैसला अभी आना बाक़ी है लेकिन शू के मामले का क़ानून और मेडिकल क्षेत्र के जानकारों ने अध्ययन किया है. आज वे एकल महिला की शारीरिक स्वायत्तता की अग्रणी आवाज़ बनी हुई हैं.
राजनीतिक और जलवायु नीति वार्ताकार
सन 2009 में जब कोपेनहेगन में संयुक्त राष्ट्र जलवायु शीर्ष सम्मेलन गतिरोध का शिकार हुआ तो क्रिस्टियाना फ़िगेरस को एक समस्या के हल के लिए लाया गया.
उन्हें 'यूनाइटेड नेशंस फ़्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज' का एग्ज़ीक्यूटिव सेक्रेटरी बनाया गया. फ़िगेरस ने अगले छह वर्षों तक एक ऐसी योजना पर काम किया जिसका मक़सद सभी देशों को एक साझा जलवायु रणनीति पर राज़ी करना था.
काफ़ी हद तक उनकी मेहनत के नतीजे के चलते लगभग 200 देशों ने 2015 के पेरिस समझौते पर हस्ताक्षर किए. इस अंतरराष्ट्रीय समझौते में औसत वैश्विक तापमान को एक स्तर से नीचे रखने की बात तय हुई थी.
फ़िगेरस 'ग्लोबल ऑप्टिमिज़्म' की सह संस्थापक हैं, यह संगठन व्यापारिक घरानों के साथ व्यावहारिक जलवायु समाधान के लिए काम करता है.
कभी-कभी मैं दुख में डूब जाती हूं, अपनी भावनाओं से पंगु हो जाती हूं और कुछ नहीं कर पाती. दूसरे अवसरों पर मुझे ग़ुस्सा आता है और भावनाओं में बह जाती हूं. लेकिन अच्छे दिनों में मैं अपने दर्द और ग़ुस्से का इस्तेमाल कुछ कर गुज़रने के संकल्प के लिए और ख़ुशी के लिए करती हूं. उस बेहतर दुनिया के लिए जो हम सब अपने बच्चों और उनके बच्चों के लिए चाहते हैं.
क्रिस्टियाना फ़िगेरस
क़िस्सागो
पर्यावरणविद् और कंटेंट क्रिएटर कियून वू जलवायु परिवर्तन के बारे में अपने विचारों को बताने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करती हैं.
उनका ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म 'दी वेयर्ड ऐंड दी वाइल्ड' जलवायु विज्ञान को अधिक आसान और दिलचस्प बनाने के प्रति समर्पित है. यह जलवायु परिवर्तन गतिविधियों के लिए अभियान चलाने, लोगों को शिक्षित करने और इसमें समुदायों को शामिल करने पर ध्यान देता है.
वह दक्षिण पूर्व एशिया पर केंद्रित पॉडकास्ट 'क्लाइमेट चीज़केक' की को-होस्ट हैं, इस पॉडकास्ट का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन से जुड़े मुद्दों को सरल ढंग से समझाना है.
वह नेशनल ज्योग्राफ़िक यंग एक्सप्लोरर भी हैं.
जलवायु संकट पेचीदा और डरावना है. हम इसके बारे में गंभीरता से लेकिन सहजता से जान-समझ सकते हैं- डरे बिना- ताकि दुनिया की भलाई के लिए हम अपना दिल नर्म रख सकें. इस दौरान हम उन औज़ारों को तेज़ कर सकें जिससे बेकाम चीज़ों से छुटकारा पाया जा सके और काम की चीज़ें बना सकें.
कियून वू
मरीन साइंटिस्ट
सीग्रास कार्बन जमा करने और मछलियों के पोषण के लिए जाना जाता है लेकिन इससे जल के नीचे के कई जीवन तंत्रों को काफ़ी नुक़सान पहुंचा है.
लियेन कलेन-अंसवर्थ प्रोजेक्ट सीग्रास के संस्थापकों में शामिल हैं और वर्तमान में इसकी सीईओ हैं. यह सार्थक स्तर पर ब्रिटेन की पहली सीग्रास पुनर्स्थापन योजना है.
यह प्रोजेक्ट रिमोट कंट्रोल रोबोट से बीज बोने की प्रक्रिया को आसान बनाता है और दूसरे देशों को जलीय घासस्थल को पुनर्स्थापित करने में मदद करने का ब्लूप्रिंट दे सकता है.
मरीन साइंस में बीस साल से अधिक का अनुभव रखने वाली कई विषयों की वैज्ञानिक लियॉन कलेन-अंसवर्थ विज्ञान आधारित संरक्षण और पुनर्स्थापन के लिए जी जान से लगी रहती हैं.
अकेले किसी चीज़ को हासिल करने में काफ़ी कुछ करना पड़ता है, लेकिन अब लोग मिलजुल कर काम कर रहे हैं और ज्ञान साझा कर रहे हैं. मेरी अपनी छोटी सी भूमिका यह है कि मुझे पता है कि हमारे ग्रह और समाज को पहुंचने वाले फ़ायदे के लिए हम एक महत्वपूर्ण जीवन तंत्र को जीवित, संरक्षित और पुनर्स्थापित कर सकते हैं.
लियेन कलेन-अंसवर्थ
मानसिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता
सस्टी वाइब्स जेनिफ़र उचेन्डू द्वारा स्थापित एक युवा-संचालित संगठन है जिसका मक़सद टिकाऊ उपायों को लोगों से जो़डना है.
उचेन्डू का हाल का काम अफ़्रीकियों, विशेष तौर पर युवा लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर जलवायु संकट के प्रभावों का पता लगाने पर केंद्रित है.
उन्होंने 2022 में दी इको-एंग्ज़ाइटी अफ़्रीका प्रोजेक्ट (टीईएपी) बनाया जिसके केंद्र में शोध, समर्थन, और जलवायु-जागरूक साइकोथेरेपी से अफ़्रीकियों को संभालना था.
उनका लक्ष्य उन लोगों और संगठनों के साथ काम करने का है जो मनः स्थिति बदलने और जलवायु के बारे में सीखने का मुश्किल और अक्सर असहज काम करते हैं.
जब जलवायु संकट की बात होती है तो मैं कई तरह की भावनाएं महसूस करती हूं. मैं यह धीरे-धीरे मान चुकी हूं कि मैं काफ़ी कुछ नहीं कर सकती लेकिन जो कर सकती हूं, उसे बेहतरीन तरीके से करूं. दूसरों के साथ मिलकर काम करने, आराम करने और जैसी हूं वैसी रहने में बेहतर महसूस करती हूँ.
जेनिफ़र उचेन्डू
ग्रीन बिल्डिंग की उद्यमी
2014 में जब इस्लामिक स्टेट समूह ने उनके देश इराक़ के एक बड़े हिस्से पर क़ब्ज़ा कर लिया था, तब वो अमरीका की एक यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रही थीं.
युद्ध के चलते बहुत से इराक़ी शहर तबाह हो गए थे. लेकिन, जब बसीमा स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करके अपने देश लौटीं तो उनको अपने देश के लोगों की मदद करने का एक नुस्खा सूझा.
बसीमा ने केईएसके नाम से एक संगठन बनाया, जो इराक़ में पर्यावरण के अनुकूल (हरित) इमारतें बनाने को समर्पित है. बसीमा ने देखा कि हरित इमारतें बनाने में अगर कम बिजली खपत वाली नई तकनीक और सामग्री को इराक़ में इमारतें बनाने के पारंपरिक तरीक़ों के साथ इस्तेमाल किया जाए, तो ज़्यादा कारगर होगा.
बसीमा इस बात को लेकर प्रतिबद्ध हैं कि इमारतें बनाने के आज के तौर तरीक़ों से आने वाली पीढ़ियों की बेहतरी से कोई समझौता न हो.
जलवायु संकट को देखकर मुझे अक्सर फ़िक्र होती है. मैं ये सोचकर हैरान होती हूं कि इस संकट के जोख़िम कम करने की कोशिशों में भागीदार बने बग़ैर किसी को सुकून कैसे मिल सकता है.
बसीमा अब्दुलरहमान
स्वयंसेवी बचाव कर्मी
2017 में जब सीरिया में गृह युद्ध की आग फैल गई, तो अमीना अल-बिश नसीरिया के सिविल डिफेंस में पहले पहल शामिल होने वाली महिला स्वयंसेवकों में से एक बनने का फ़ैसला किया. सीरिया के सिविल डिफेंस को व्हाइट हेलमेट्स के नाम से जाना जाता है, जो युद्ध में ज़ख़्मी लोगों को फ़ौरी इलाज मुहैया कराने और उनकी ज़िंदगियां बचाने के लिए काम करता है.
बाद में अमीना ने ख़ुद को फरवरी 2023 में सीरिया और तुर्की में आए भूकंप के शिकार लोगों को बचाने के लिए समर्पित कर दिया. उस भूकंप में इलाक़े के इलाक़े तबाह हो गए थे और ख़ुद अमीना का परिवार इमारत के मलबे में दब गया था.
अब अमीना अल-बिश उत्तरी सीरिया में अपने समुदाय की दूसरी महिलाओं की ज़िंदगी बेहतर बनाने के लिए काम करती हैं. अमीना, बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेशन की पढ़ाई भी कर रही हैं, और वो कहती हैं कि उनका ख़्वाब एक शांतिपूर्ण सीरिया के निर्माण में मदद करना है.
वाइल्डफ़ायर डिटेक्शन टेक डेवलपर
इस साल दुनिया के सबसे बड़े जंगलों में आग लगने की भयावह घटनाएं हुई हैं. आग की लपटों के स्तर और इसके फैलाव का अंदाज़ा लगाने में अक्सर आग बुझाने वालों की परेशानियों के मद्देनज़र सोनिया कास्टनर ने एक ऐसा संगठन बनाया जो उन्हें आग का जल्दी पता लगाने में मदद करता है, जिसका नाम पैनो एआई है.
पैनो एआई आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस तकनीक का इस्तेमाल करके आग के फैलाव से पहले त्वरित कार्रवाई में मदद करता है. इसके लिए आम जनता के इमर्जेंसी सेवा कॉल पर निर्भर न रहकर जंगल के इलाक़ों के मुआयने से आग लगने के लक्षण पता लगाकर सावधान किया जाता है.
कास्टनर इससे पहले 10 सालों तक विभिन्न टेक स्टार्टअप कंपनियों में काम कर चुकी हैं.
मुझे ह्यूमन इनोवेशन की अद्भुत शक्ति से काफ़ी उम्मीद बंधती है. मैंने जलवायु संकट के सबसे बुरे प्रभावों पर ध्यान देने के लिए तकनीक के इस्तेमाल और डेटा आधारित समाधानों का फ़ायदा ख़ुद देखा है.
सोनिया कास्टनर
बायोगैस की कारोबारी
2012 में गाम ने वियतनाम के खेतों में पर्यावरण के अनुकूल उर्जा स्रोतों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने का काम शुरू किया.
दो बच्चों की माँ ने कारोबार की गुंजाइश देखी, उन्होंने हनोई में बायोगैस के प्लांट बेचना और लगाना शुरू कर दिया. कुछ समय में उनका कारोबार तीन पड़ोसी राज्यों में फैल गया.
उनके प्रोजेक्ट से किसानों को अपनी लागत कम करने में मदद मिलती है. क्योंकि, वो गाय और सुअर के गोबर, जलकुंभी और दूसरे कचरों को बायोगैस में बदल पाते हैं. बायोगैस को ऊर्जा का प्राकृतिक गैस से कहीं ज़्यादा टिकाऊ संसाधन माना जाता है. जिसे खाना पकाने या घर के दूसरे कामों में इस्तेमाल किया जा सकता है.
गाम अपने जैसे कारोबारी स्थानीय समुदायों से मेल-जोल बढ़ाकर जलवायु परिवर्तन से निपटने के उपायों के लिए ज़रूरी सियासी समर्थन को बढ़ावा देती हैं.
हमें जीना चाहिए और अच्छे से जीना चाहिए. इसीलिए, मैं वर्ज़िश करके, संतुलिन आहार लेकर और सोने जागने में नियमितता लाकर अपनी और अपने प्रिय लोगों की सेहत बेहतर बनाकर उनकी हिफ़ाज़त करने की कोशिश करती हूं. मैं लोगों को अपने खाने के लिए फल और सब्ज़ियां उगाकर ऑर्गेनिक रहन-सहन अपनाने के लिए भी प्रोत्साहित करती हूं. मैं लोगों को समझाती हूं कि वो अपनी सब्ज़ियों में रासायनिक कीटनाशकों का इस्तेमाल न करें.
चांग गाम
एआई एक्सपर्ट
टिमनित गेबरू एक बेहद प्रभावशाली आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस कंप्यूटर साइंटिस्ट है. वह डिस्ट्रिब्यूटेड आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस रिसर्च इंस्टीट्यूट (डीएआईआर) की संस्थापक और एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर हैं. इसकी स्थापना "एक स्वतंत्र, समुदाय-आधारित एआई शोध के मंच के रूप में हुई जो बड़ी तकनीकी कंपनियों के हस्तक्षेप से आज़ाद है."
उन्होंने फेशियल रेकग्निशन टेक्नोलॉजी में नस्लीय भेदभाव की आलोचना की है और किसी से मिलकर एक नॉन-प्रॉफ़िट संगठन बनाया जो एआई में काले लोगों की भागीदारी बढ़ाने का काम करता है.
इथियोपिया में जन्मीं यह कंप्यूटर साइंटिस्ट एडिस कोडर के बोर्ड में हैं जो इथोपियाई छात्रों को प्रोग्रामिंग पढ़ाता है.
सन 2020 में गूगल की एथिकल एआई टीम में को-लीड के तौर पर काम करते हुए उन्होंने एक एकेडमिक पेपर में अपना योगदान दिया जिसमें एआई लैंग्वेज मॉडल के मुद्दे उठाए गए थे. इसमें अल्पसंख्यकों और हाशिए के लोगों और जगहों के ख़िलाफ़ व्यवस्थागत भेदभाव की बात भी शामिल थी.
इस रिपोर्ट के बाद वे कंपनी में नहीं रहीं, उस समय कंपनी ने कहा कि उनका पेपर संबंधित शोध की उपेक्षा पर आधारित है. कंपनी ने कहा कि गेबरू ने इस्तीफ़ा दिया है. हालांकि गेबरू ने कहा कि कार्यस्थल पर भेदभाव के मुद्दे को उठाने के चलते उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया.
अर्थशास्त्री और नोबल पुरस्कार विजेता
क्लाउडिया गोल्डिन, अमेरिका की आर्थिक इतिहासकार और श्रमिक अर्थशास्त्री हैं. इस साल उन्हें महिलाओं के रोज़गार और महिलाओं- पुरुषों की तनख़्वाह में अंतर पर काम के लिए अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिया गया था.
वो ये पुरस्कार जीतने वाली केवल तीसरी और ऐसी पहली महिला पुरस्कार विजेता हैं, जिनको ये अवार्ड अपने किसी पुरुष सहकर्मी के साथ साझा नहीं करना पड़ा है.
क्लाउडिया, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र की प्रोफ़ेसर हैं, और वो आमदनी में असमानता, शिक्षा और प्रवास जैसे विषयों पर रिसर्च करती हैं.
उनके सबसे प्रभावशाली कामों में करियर और परिवार के लिए महिलाओं की जद्दोजहद, और, महिलाओं के करियर और शादी के फ़ैसलों पर गर्भनिरोधक गोलियों के असर पर रिसर्च शामिल है.
वैज्ञानिक
सुसान चोम्बा इस समय वर्ल्ड रिसोर्सेज़ इंस्टीट्यूट में निदेशक हैं. वह कहती हैं कि मध्य कीनिया के किरिनयगा क्षेत्र में अपने बचपन में उन्होंने जो ग़रीबी झेली है उसे वह दूसरों की ज़िंदगी बेहतर करने के लिए प्रेरित होती हैं.
वह अधिकतर समय वन संरक्षण, भूमि पुनर्स्थापना और अफ़्रीका की भोजन व्यवस्था को बदलने में लगी रहती हैं.
कांगो बेसिन के उष्णकटिबंधीय जंगलों से शुष्क पश्चिमी अफ़्रीकी सहेल तक, और पूर्वी अफ़्रीका तक सुसान छोटी जोत वाले किसानों, विशेष कर महिलाओं और युवाओं के साथ काम कर उन्हें उनकी ज़मीन के बेहतर इस्तेमाल में मदद करती हैं.
बढ़ती जलवायु चुनौती के मद्देनज़र समुदायों को तैयार करने के लिए वह सरकारों और रिसर्चरों के साथ अपनी विशेषज्ञता को साझा करती हैं.
मैं दुनिया के नेताओं की निष्क्रियता से अधिक दुखी हूं, खास कर जिनका देश अधिक प्रदूषण फैलाता है, जिनके पास स्थिति बदलने के लिए आर्थिक शक्ति है लेकिन वे पैसे, सत्ता और राजनीति के कारण ऐसा नहीं करते. उन भावनाओं पर क़ाबू पाने के लिए मैं ज़मीन पर काम करने में वक़्त लगाती हूं, पूरे अफ़्रीका में प्रकृति संरक्षण और पुनर्स्थापन के लिए महिलाओं के साथ काम करती हूँ.
सुसान चोम्बा
जानवरों की डॉक्टर
ग्लैडिस युगांडा की पुरस्कार विजेता जानवरों की डॉक्टर और पर्यावण संरक्षक हैं. वो युगांडा के विलुप्त होने का ख़तरा झेल रही पहाड़ी गोरिल्ला प्रजाति को बचाने के लिए काम करती हैं. जलवायु परिवर्तन की वजह से इन गोरिल्लों की रिहाइश वाले इलाक़े सिमटते जा रहे हैं.
ग्लैडिस, कंज़र्वेशन थ्रू पब्लिक हेल्थ नाम की स्वयंसेवी संस्था की सीईओ हैं. उनका संगठन लोगों, गोरिल्लाओं और दूसरे जंगली जीवों के रहने के इलाक़ों और उनकी सेहत को सुधारने के साथ साथ, उन्हें मिल-जुलकर रहने में मदद करता है. और इस तरह, जैव विविधता के संरक्षण का काम करता है.
क़रीब तीन दशकों की कोशिश के बाद ग्लैडिस ने युगांडा में पहाड़ी गोरिल्लों की आबादी 300 से 500 तक पहुंचाने में मदद की है. पहले जहां ये प्रजाति भयंकर ख़तरे की शिकार थी, वहीं अब ग्लैडिस की कोशिशों की वजह से ख़तरे का स्तर घटा दिया गया है.
2021 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम ने ग्लैडिस को चैंपियन ऑफ़ द अर्थ घोषित किया था.
जलवायु संकट के बीच मुझे इस बात में उम्मीद की किरण दिखती है कि लोग अब ये स्वीकार करने लगे हैं कि इससे फ़ौरन निपटने की ज़रूरत है. इस संकट को कम करने और इसके हिसाब से ख़ुद को ढालने के लिए तमाम नए नए तरीक़े हैं.
ग्लैडिस कलेमा ज़िकुसोका
वैज्ञानिक और आविष्कारक
कैनन डैगदाविरेन, अमरीका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) में एसोसिएट प्रोफ़ेसर हैं. हाल ही में उन्होंने ब्रा के साथ पहने जाने वाले एक अल्ट्रासाउंड पैच का आविष्कार किया है, जिससे ब्रेस्ट कैंसर का शुरुआत में ही पता लगाया जा सकता है.
उन्हें ये पैच विकिसत करने की प्रेरणा अपनी मौसी से मिली, जिन्हें 49 साल की उम्र में ब्रेस्ट कैंसर होने का पता तब चला, जब वो आख़िरी स्टेज पर पहुंच चुका था, और कैंसर का पता चलने के छह महीने बाद उनकी मौत हो गई. ऐसा तब हुआ, जब उनकी मौसी नियमित रूप से कैंसर की जांच कराया करती थीं.
मौसी के मरते वक़्त कैनन उनके पास थीं. उसी दौरान उन्होंने ये उपकरण बनाने का एक मोटा सा ख़ाक़ा खींचा, जिसे महिलाएं ब्रा के साथ पहन सकती थीं. इस तरह जिनको भी ब्रेस्ट कैंसर होने का ज़्यादा ख़तरा है, उनकी जांच ज़्यादा आसानी से की जा सकती है. इस तकनीक से लाखों महिलाओं की जान बचाई जा सकती है.
सामाजिक मनोवैज्ञानिक
सामाजिक मनोवैज्ञानिक फैबिओला ने जब लगभग दो दशक पहले अपना अकादेमिक सफ़र शुरू किया था, तब मेक्सिको में सामाजिक न्याय के एक मुद्दे के तौर पर महिलाओं के यौन सुख पर केंद्रित एक भी रिसर्च नहीं हुआ था.
फैबिओला ने अपने काम से इसका एक रास्ता खोला, और उन्होंने जिसमें सामाजिक असमानता, लैंगिक पहचान पर आधारित हिंसा और यौन सुख की सियासी ताक़त जैसे विषयों की पड़ताल की. उनके काम का मक़सद महिलाओं के सुख के अधिकार को बढ़ावा देना है.
फैबिओला तर्क देती हैं कि कुछ असमानताओं की वजह से महिलाएं सेक्स के मामले में अधिक कमज़ोर स्थिति में पहुंच जाती हैं. अपने भाषणों, वैज्ञानिक रिसर्च और व्यवहारिक वर्कशॉप के ज़रिए फैबिओला, लोगों को मास्टरबेशन, ऑर्गैज़्म और यौन आनंद की इस तरह तलाश करने में मदद करती हैं, जिससे वो इन चुनौतियों से पार पा सकें.
फैबिओला के काम की पूरे लैटिन अमरीका ही नहीं स्पेनिश ज़बान बोलने वाले दुनिया भर के उन समुदायों में चर्चा होती है, जहां पर महिलाओं की सेहत और कामुकता पर बात करना बहुत बुरा माना जाता है.
साउंड रिकॉर्डिस्ट
हाथ में टेप रिकॉर्डर लिए हुए इज़ाबेला दलुज़िक पोलैंड में बियालोवीज़ा के जंगल की आवाज़ों को क़ैद करने निकल जाती हैं. यह यूरोप का सबसे पुराने और बेहतर ढंग से संरक्षित जंगलों में एक है.
फ़ील्ड रिकॉर्डिस्ट इज़ाबेला असाधारण महिला हैं और इसका कारण केवल यह नहीं है कि वह पुरुषों के वर्चस्व वाले पेशे में एक युवा महिला हैं बल्कि इसलिए भी कि वह जन्मजात दृष्टिहीन हैं.
इज़ाबेला ने तब से चिड़ियों के गीत के लिए ख़ास संवेदनशीलता विकसित की है जब बारह वर्ष की उम्र में उनके परिवार ने उन्हें टेप रिकॉर्डर दिया था. वह आवाज़ सुनकर चिड़ियों की अनेक प्रजातियों को पहचान सकती हैं.
वे मानती हैं कि प्रकृति की आवाज़ें बहुत सुंदर और शांति देने वाली हैं और उन्हें बाँटना एक सुखद काम है.
एक्सपीडिशन गाइड
कोलंबिया में स्थानीय समुदायों को ताज़ा जल ग्लेशियर से मिलता है लेकिन यह तेज़ी से ग़ायब हो रहे हैं.
मार्सेला फर्नांडीज़ एनजीओ कंबर्स ब्लांकस (सफ़ेद चोटियां) की संस्थापक हैं. वह अपनी टीम के साथ इस मुद्दे को उठाती हैं. इसमें बताया जाता है कि एक समय चौदह ग्लेशियर थे लेकिन उनमें से अब सिर्फ़ छह बचे हैं और उन पर भी ख़तरा है.
वैज्ञानिक अभियानों के माध्यम से और पर्वतारोहियों, फोटोग्राफरों, वैज्ञानिकों और कलाकारों की एक टीम को इकट्ठा करके, फर्नांडीज परिवर्तनों की निगरानी करती हैं और ग्लेशियर को होने वाले नुकसान को रोकने के लिए रचनात्मक तरीक़े तलाशती हैं.
अपने प्रोजेक्ट "पाज़ाबोर्डों" (बोर्ड पर शांति) के साथ वह उन इलाक़ों का भी दौरा करती हैं जो कोलंबिया के 50 साल के आंतरिक सशस्त्र संघर्ष से प्रभावित रहे हैं.
ग्लेशियर ने हमें दुख और अपनों को खोने की पीड़ा से निपटने की सीख दी है. जब आप उनकी आवाज़ सुनते हैं तो आपको पता होता है कि उनका न रहना एक ऐसा नुक़सान है जिसकी भरपाई नहीं की जा सकती लेकिन हम फिर भी इस मामले में योगदान कर सकते हैं और अपनी छाप छोड़ सकते हैं.
मार्सेला फर्नांडीज़
डायरी लेखक व सस्टेनेबलिटी कार्यकर्ता
बयांग 2018 से ईको डायरी लिख रही हैं जिसमें वे स्थानीय प्रजातियों और जल स्रोतों में बदलाव का लेखा जोखा रखती हैं.
बयांग चीन के किंगहई राज्य में रहती हैं जो अधिकतर तिब्बत के पठार पर अवस्थित है जहां अत्यधिक गर्मी, पिघलते ग्लेशियर और रेगिस्तानिकरण जैसे जलवायु परिवर्तन को पहले से ही अनुभव किया जा रहा है.
बयांग संजियानगुयान महिला पर्यावरणवादी नेटवर्क का हिस्सा हैं और अपने समुदाय में स्वास्थ्य व सस्टेनेबलिटी के लिए काम करती हैं.
उन्होंने इको फ्रेंडली सामान बनाने का हुनर सीखा है जिसमें लिप बाम, साबुन और बैग शामिल हैं ताकि स्थानीय जल स्रोतों को बचाया जाए. वे दूसरों को पर्यावरण कार्य के लिए प्रेरित करती हैं.
पर्यावरण सलाहकार
मथाई के पास सामाजिक और पर्यावरणीय बदलाव की वकालत करने का 20 साल से अधिक का अनुभव है. वह एक पूरे महादेश के लिए प्रेरणास्रोत हैं.
उन्होंने ग्रीन बेल्ट आंदोलन का नेतृत्व किया. यह केन्या का स्थानीय संगठन है जिसने पौधारोपण के ज़रिए महिलाओं को सशक्त किया है. इस संगठन की स्थापना उनकी मां और 2004 की नोबेल पुरस्कार विजेता वांगरी माथाई ने किया था.
वंजीरा फ़िलहाल वर्ल्ड रिसोर्सेज़ इंस्टीट्यूट में अफ़्रीका एंड ग्लोबल पार्टनरशिप्स की मैनेजिंग डायरेक्टर हैं. वह वांगरी माथाई फ़ाउंडेशन की अध्यक्ष भी हैं.
वंजीरा अभी बेज़ोस अर्थ फ़ंड की अफ़्रीका एडवाइज़र भी है. वे क्लीन कुकिंग अलायंस और यूरोपियन क्लाइमेट फ़ाउंडेशन से भी जुड़ी हैं.
काम स्थानीय होता है. हमें वृक्ष-आधारित उद्यमियों और पुनर्स्थापन में समुदाय-संचालित काम, नवीकरणीय ऊर्जा और सर्कुलर इकोनॉमी जैसे स्थानीय पहलों को सहयोग देने की ज़रूरत होती है. नीचे से ऊपर के ऐसे प्रयासों से मुझे उम्मीद बंधती है क्योंकि इससे पता चलता है कि क्या संभव है.
वंंजीरा मथाई
मिडवाइफ़
पिछले साल जब पाकिस्तान में भारी बाढ़ आई तो मिडवाइफ़ नेहा मनकानी ने अपनी सेवा देने के लिए प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया.
उन्होंने अपनी परोपकारी संस्था ममा बेबी फ़ंड और अपनी टीम के साथ पंद्रह हज़ार से अधिक बाढ़ प्रभावित परिवारों को जच्चगी किट और मिड वाइफ़ सर्विस उपलब्ध कराई.
उनका ख़ास काम कम संसाधन वाले माहौल, इमर्जेंसी सेवा और जलवायु परिवर्तन से प्रभावित समुदायों पर ध्यान देना है.
ममा बेबी फ़ंड ने बोट एंबुलेंस चलाने लायक़ पैसा जमा कर लिया है जिससे समुद्र किनारे रहने वाले समुदायों की गर्भवती महिलाओं को ज़रूरत पड़ने पर पास के अस्पतालों तक ले जाया जा सकता है.
जलवायु परिवर्तन से संबंधित संकटों का सामना कर रहे समुदायों के लिए मिडवाइफ़ का काम बेहद महत्वपूर्ण है. हम लोग मदद की पुकार सुनने वाले जलवायु कार्यकर्ता हैं, हम यह सुनिश्चित करते हैं कि महिलाओं को उस समय भी प्रजनन, प्रसव और प्रसव के बाद की सेवा मिलती रहे जब उनके आसपास के हालात बिगड़ रहे हों.
नेहा मनकानी
जल्दी मीनोपॉज झेलने वाली महिलाओं की कैंपेनर
इसाबेल को इस बात का क़तई अंदाज़ा नहीं था कि उनकी अनियमित माहवारी, किसी बड़ी बीमारी की तरफ़ इशारा कर रही है. लेकिन, 18 साल की उम्र से ठीक पहले इसाबेल को उम्र से बहुत पहले मीनोपॉज़ या फिर समयपूर्व गर्भाशय फेल होने की बीमारी होने का पता चला. ये हालात तब बनते हैं, जब महिलाओं के अंडाशय ठीक से काम करना बंद कर देते हैं. एक मोटे अनुमान के मुताबिक़ ये बीमारी 40 साल की उम्र की क़रीब एक प्रतिशत महिलाओं पर असर करती है.
इस बीमारी की शिकार महिलाओं में मीनोपॉज़ जैसे लक्षण दिखाई देते हैं, लेकिन, वो बहुत कम उम्र में इसकी शिकार हो जाती हैं. इसाबेल इस बीमारी के बारे में खुलकर बात करती हैं और बताती हैं कि इस वजह से उनकी ज़िंदगी पर कैसा असर पड़ रहा है. इसके अलावा वो हड्डियों की बीमारी ओस्टियोपोरोसिस से भी लड़ रही हैं.
30 साल की पत्रकार इसाबेल ने लैटिन अमरीका में जल्दी मीनोपॉज़ की शिकार होने वाली महिलाओं के लिए एक क्षेत्रीय नेटवर्क की शुरुआत की है, जिसमें महिलाएं अपनी जानकारी साझा कर सकती हैं, भ्रांतियों को दूर कर सकती हैं, और इस बीमारी से जूझ रही दूसरी महिलाओं के लिए सुरक्षित ठिकाने बना सकती हैं.
जलवायु और शारीरिक अक्षमता के मामलों की सलाहकार
एलहाम मानव अधिकारों की एक नेत्रहीन वकील हैं. वो जलवायु परिवर्तन से निपटने में शारीरिक अक्षमता वाले लोगों को शामिल करने की मज़बूती से वकालत करती हैं. ख़ास तौर से जलवायु संबंधी घटनाओं से निपटने के आपातकालीन क़दमों के मामले में.
एलहाम युसुफियान, ईरान में पैदा हुईं और वहीं पली-बढ़ी हैं. 2016 में वो अमरीका चली गई थीं. आज वो इंटरनेशनल डिसएबिलिटी एलायंस में अहम भूमिका निभाती हैं. ये शारीरिक अक्षमता वाले लोगों की नुमाइंदगी करने वाले 1100 से ज़्यादा संगठनों का नेटवर्क है.
उनका मिशन, फ़ैसला लेने वालों को शारीरिक अक्षमता वाले लोगों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को लेकर, उनकी ज़िम्मेदारियों के प्रति आगाह करना है. वो जलवायु संकट के ख़िलाफ़ जंग में शारीरिक अक्षमताओं वाले लोगों की अपार संभावनाओं वाली भूमिका का भी ख़ूब प्रचार करती हैं.
शारीरिक अक्षमताओं वाले इंसानों के तौर पर हमने बार बार दिखाया है कि हम जटिल से जटिल चुनौतियों से पार पा सकते हैं, और ऐसे हालात में भी समाधान निकाल सकते हैं, जब कोई रास्ता न सूझ रहा हो. जलवायु परिवर्तन के ख़िलाफ़ हमारी जंग में शारीरिक अक्षमता वाले लोग पहली पंक्ति में खड़े हो सकते हैं और उन्हें ऐसा करना भी चाहिए.
एलहाम यूसुफियान
वैज्ञानिक
ओमान की वैज्ञानिक, रुमैथा अल बुसैदी की 2021 की टेड टाक का नाम है: 'महिलाओ और लड़कियो, आप जलवायु के समाधान का हिस्सा हैं'. उनके इस वीडियो को दस लाख से ज़्यादा लोग देख चुके हैं, जो अरब महिलाओं के अधिकार के लिए उनकी वकालत की नुमाइंदगी करता है.
रुमैथा की विशेषज्ञता की वजह से उन्हें ओमान की पर्यावरण सोसाइटी और, अरब यूथ काउंसिल फॉर क्लाइमेट चेंज में जगह मिली है.
रुमैथा, जलवायु पर आधारित विदेशी मदद देने के लिए बाइडेन प्रशासन की सलाहकार रही हैं. और वो, ग्रीनलैंड को टिकाऊ पर्यटन के क्षेत्र में भी सलाह देती रही हैं.
दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाली वो ओमान की सबसे युवा महिला हैं. उन्होंने वुमेक्स (WomeX) के नाम से एक मंच भी स्थापित किया है, जो अरब महिलाओं को कारोबार निगोसिएशन करने का हुनर सीखने में मदद करता है.
जलवायु परिवर्तन से निपटने का पहला समाधान तो महिलाओं और लड़कियों को सशक्त बनाना है. आधी आबादी को ताक़तवर बनाने से उनके समुदायों पर जो बहुआयामी असर पड़ता है, वो लोगों की सोच और बर्ताव को बदल देगा और धरती रक्षा भी करेगा, जिसे हम अपना घर कहते हैं.
रुमैथा अल बुसैदी
बाल अधिकार अधिवक्ता
यूक्रेनी बच्चों को युद्ध की विभीषिका से उबारना ओलिना रोज़वादोवस्का का मिशन है. वह वॉयसेज़ ऑफ़ चिल्ड्रन चैरिटी की सह संस्थापक हैं, जिसका मक़सद मनोवैज्ञानिक सहायता पहुंचाना है.
इस संगठन ने 2019 में ज़मीनी स्तर पर पहल शुरू की. इसके चार साल पहले रोज़वादोवस्का ने दोनबास में जंगी सरहद पर स्वेच्छा से काम किया. उस समय रूस समर्थित अलगाववादियों ने यूक्रेन के ख़िलाफ़ लड़ना शुरू किया था.
फ़ाउंडेशन के पास इस समय 100 मनोवैज्ञानिक हैं जो 14 केन्द्रों पर काम कर रहे हैं, इसके अलावा इसकी एक मुफ़्त हॉटलाइन भी है. इसने दसियों हज़ार बच्चों और उनके मां-बाप की मदद की है.
रोज़वादोवस्का ने ऑस्कर-नामित डॉक्यूमेंट्री 'अ हाउस मेड ऑफ़ स्प्लिंटर्स' में हिस्सा लिया है. उन्होंने अपनी टीम के साथ एक किताब 'वार थ्रू द वॉयसेज़ ऑफ़ चिल्ड्रन' प्रकाशित की है.
ट्रैफ़िक सुरक्षा की प्रोफ़ेसर
कई दशकों से कारों का क्रैश टेस्ट डमी के ज़रिए किया जाता रहा है, जो एक औसत पुरुष की शारीरिक बनावट पर आधारित होता है. जबकि, आंकड़े ये दिखाते हैं कि गाड़ियों की आमने-सामने की टक्कर के दौरान महिलाओं के ज़ख़्मी होने या जान गंवाने का जोखिम ज़्यादा होता है.
इंजीनियर एस्ट्रिड लिंडर इस चलन को बदलने के लिए काम करती रही हैं, और उन्होंने दुनिया के पहले औसत महिला के आकार के क्रैश डमी टेस्ट को विकसित करने के प्रोजेक्ट की अगुवाई की है. इस टेस्ट को महिलाओं की शारीरिक बनावट के हिसाब से तैयार किया गया है.
एस्ट्रिड, स्वीडन के नेशनल रोड ऐंड ट्रांसपोर्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (VTI) की प्रोफेसर हैं. इसके अलावा वो चामर्स यूनिवर्सिटी में बायोमेकैनिक्स और सड़क हादसे में लगने वाली चोट को रोकने के विषय की असिस्टेंट प्रोफ़ेसर भी हैं.
पार्टिकिल फ़िज़िसिस्ट
पार्टिकिल फ़िज़िक्स की रिसर्चर प्रोफ़ेसर अनामारिया फोंट विसारोएल, सुपरस्ट्रिंग की परिकल्पना पर रिसर्च कर रही हैं. इस परिकल्पना के तहत प्रकृति में मौजूद सारे कणों और बुनियादी ताक़तों के बर्ताव को ऊर्जा के छोटे और कंपन करने वाली लड़ियों की तरह पिरोकर समझने की कोशिश की जाती है.
जब बात तत्व और क्वांटम के गुरुत्वाकर्षण की आती है, तो अनामारिया के रिसर्च ने इस परिकल्पना के निष्कर्षों को समझने में काफ़ी मदद की है. उनकी रिसर्च ब्लैक होल और बिग बैंग के बाद के शुरुआती पलों को समझने के लिहाज़ से भी काफ़ी अहम है.
अनामारिया विसारोएल, पहले वेनेज़ुएला में फुंचासियॉन पोलर अवार्ड जीत चुकी हैं. और इस साल उन्हें यूनेस्को ने विमेन इन साइंस अवार्ड के लिए भी चुना था.
डॉक्टर
माल्टा यूरोप के उन देशों में से है, जहां गर्भपात के बेहद सख़्त क़ानून लागू हैं. नैटली महिलाओं को इस बारे में जानकारी और सलाह देती हैं.
नैटली, माल्टा में डॉक्टर्स फॉर च्वायस नाम के एक संगठन की सह-संस्थापक हैं. और, वो गर्भपात को अपराध के दर्जे से बाहर करने और इसको क़ानूनी दर्जा देने की वकालत करने के साथ-साथ महिलाओं को आसानी से गर्भनिरोधक उपलब्ध कराने के लिए काम करती हैं.
नैटली कहती हैं कि माल्टा में गर्भपात पर लगभग पूरी तरह से पाबंदी है, और इसकी इजाज़त एक ही सूरत में दी जाती है, जब किसी महिला की जान जाने का जोखिम हो. इसका नतीजा ये होता है कि अक्सर महिलाएं बिना डॉक्टरी सलाह के गर्भनिरोधक गोलियां लेने लगती हैं. नैटली शीला ने एक हेल्पलाइन बनाई है, जो महिलाओं को गर्भपात से पहले, उसके दौरान और बाद में मदद करती है.
नैटली ने 10 से 13 साल की लड़कियों के लिए, 'माय बॉडीज़ फैंटास्टिक जर्नी' के नाम से सेक्स एजुकेशन की एक किताब लिखी है, ताकि देश में प्रजनन से जुड़ी सेहत संबंधी जानकारी को बेहतर बनाया जा सके.
सर्जन
वे गज़ा की पहली महिला सर्जन हैं. वे सबसे बड़े अल शिफ़ा अस्पताल में काम करती हैं.
वेे अपने इंस्टाग्राम अकाउंट की मदद से दिखाती हैं कि लड़ाई के बीच लोगों का इलाज करना कितना चुनौती भरा काम है. इसराइल के हमले में अल शिफ़ा अस्पताल को काफ़ी नुकसान पहुँचा है.
वे बिजली, पानी, दवाइयों और खाने की तंगी के बारे में इंस्टाग्राम पर पोस्ट करती रहती हैं. उन्हें इसराइली धावे से पहले अल शिफ़ा अस्पताल को छोड़ना पड़ा था. इसराइली सेना इस हमले को हमास के ख़िलाफ़ ज़रूरी कार्रवाई बता रही है.
अल सक्का ने डॉक्टरी की पढ़ाई गज़ा इस्लामिक यूनिवर्सिटी से की है. वे लंदन की क्वीन्स मैरी यूनिवर्सिटी से सर्जरी का कोर्स भी कर चुकी हैं. वे अब गज़ा में अकेली महिला सर्जन नहीं हैं लेकिन उन्होंने बाक़ी सभी महिलाओं के लिए रास्ता बनाया है.
वन प्रबंधक
इंडोनेशिया के पुरातनपंथी अचेह सूबे में, महिलाओं का नेता बनना असामान्य बात है.
जब सुमिनी को लगा कि उनके गांव में आई बाढ़ की बड़ी वजह जंगलों की कटाई है. और, जलवायु परिवर्तन का कारण भी यही है. तो, उन्होंने इस मामले में पहल करने का फ़ैसला किया और वो अपने समुदाय की दूसरी महिलाओं के साथ मिलकर काम करने लगीं.
सुमिनी के समूह को पर्यावरण और वन मंत्रालय से परमिट मिल गया. अब दमारान बारू गांव के समुदाय को अगले 35 वर्षों के लिए 251 हेक्टेयर में फैले जंगलों के रख-रखाव की ज़िम्मेदारी मिल गई है.
अब सुमिनी एक ग्रामीण वन प्रबंधन इकाई (LPHK) की अगुवाई करती हैं, जो अवैध रूप से पेड़ काटने और सुमात्रा के बाघों, पैंगोलिन और विलुप्त होने का ख़तरा झेल रहे दूसरे जंगली का शिकार करने वालों की रोक-थाम करती है.
आजकल जंगलों की बड़े पैमाने पर कटाई और जंगली जानवरों के शिकार को देखते हुए, जंगलों पर हमें और ज़्यादा ध्यान देना चाहिए. इससे जलवायु संकट से सामूहिक रूप से निपटने में बहुत मदद मिलेगी. आप जंगलों को बचाकर रखिए, ज़िंदगी बची रहेगी.
सुमिनी
कार्बन इम्पैक्ट की तकनीकी विशेषज्ञ
आवाजाही के स्थायी साधनों को बढ़ावा देने में दिलचस्पी रखने वाली अना, फिनलैंड के लाहती शहर में कम कार्बन उत्सर्जन वाले, स्वच्छ और कम ईंधन की खपत वाले संसाधनों को बढ़ावा देने के लिए काम करती हैं. 2021 में लाहती को यूरोप की ग्रीन कैपिटल का दर्जा दिया गया था.
अना अपने शहर में कार्बन के लेन-देन के मॉडल की अगुवाई करती है, जिसने एक नई मिसाल क़ायम की है. ये दुनिया का पहला ऐप है, जो शहरियों को आवाजाही के लिए पर्यावरण के लिए मुफ़ीद साधनों जैसे कि साइकिल या फिर सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करके कार्बन क्रेडिट कमाने का मौक़ा देता है.
वो शहरों को जलवायु निरपेक्ष बनाने की सलाह देने के लिए नेट ज़ीरो सिटीज़ नाम के एक संगठन के लिए काम करती हैं, जो यूरोपीय शहरों को 2030 तक जलवायु में गिरावट खत्म करने में मदद कर रहा है.
हुत्तुनेन का मक़सद आवाजाही के अनुकूल माध्यमों में अन्य लोगों की दिलचस्पी बढ़ाना है और वो साइकिल से चलने की पुरज़ोर वकालत करती हैं. उनका मानना है कि शहरों में भविष्य में आवाजाही का सबसे बड़ा ज़रिया साइकिल ही होगी.
दुनिया भर के नगर निगमों में ऐसे ग़ज़ब के लोग हैं, जो अपने शहर के नागरिकों की ज़िंदगी पर्यावरण के अनुकूल बनाने में लगे हुए हैं. आप भी अपने हिस्से की ज़िम्मेदारी निभाएं. ऐसे किसी प्रयास से जुड़ें और बदलाव का हिस्सा बनें.
अना हुत्तुनेन
बीबीसी हर साल दुनिया भर की 100 प्रभावशाली, प्रतिभाशाली और प्रेरक महिलाओं के नाम जारी करता है. हम उनके जीवन के बारे में डॉक्युमेंटरी, वीडियो और रिपोर्टें तैयार करते हैं. इन सामग्रियों को हम बीबीसी के सभी प्लेटफॉर्मों के ज़रिए पूरी दुनिया तक पहुँचाते हैं.
बीबीसी के इंस्टाग्राम और फेसबुक के ज़रिए आप इन 100 ख़ास महिलाओं से जुड़ सकते हैं. उनके बारे में बीबीसी की चर्चा में शामिल होने के लिए है--#BBC100Women
बीबीसी वर्ल्ड सर्विस की भाषाओं, रिसर्च के ज़रिए और बीबीसी मीडिया ऐक्शन के सुझाव पर इन 100 महिलाओं के योगदान का आकलन करने के बाद उन्हें इस ख़ास सूची में जगह दी गई है.
हम ऐसी महिलाओं पर नज़र रखते हैं जो अपने काम से दुनिया में हलचल पैदा कर रही हैं, ये वे महिलाएँ हैं जो पिछले एक साल के भीतर मीडिया की सुर्ख़ियों में रही हैं. ये ऐसी महिलाएँ हैं जिनके पास सुनाने के लिए प्रेरक कहानियाँ हैं. उन्होंने कठिन चुनौतियों के बीच कुछ ऐसा हासिल किया है जो किसी भी तरह से आसान नहीं रहा है. ये वो महिलएँ हैं जिन्होंने अपने समाज में एक बड़ा और सार्थक बदलाव किया है.
इस साल का थीम था जलवायु परिवर्तन, उस लिहाज से भी 28 नामों को इस सूची में शामिल किया गया है.इन महिलाओं ने अपने-अपने क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने या उससे प्रभावित हुए लोगों की मदद करने की दिशा में सार्थक काम किया है.
हमने इसमें सभी तरह के राजनीतिक रुझानों, और हर तरह के समाजों से महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की है. हमने हर तरह के नामों पर गौर करने के बाद उन महिलाओं को चुना है जिन्होंने मौलिक काम किया है और दूसरों को भी अच्छा काम करने के लिए प्रेरित किया है.
इस सूची में क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व का ध्यान रखा गया है, और हर तरह से निष्पक्षता बरतने की कोशिश की गई है. इन सभी महिलाओं के नाम उनकी सहमति से इस सूची में शामिल किए गए हैं.
बीबीसी 100 वीमेन प्रोडक्शन टीम वेलेरिया पोरेसो, अमेलिया बटर्ली, पावला इडोटा, रेबेका थ्रॉन, कॉर्डेलिया हेमिंग, लॉरा ग्रासिया, सारा डियाज, लूसी ग्लाइडर, माइ कानेह, मार्क शी, वंदना विजय, किंडा साहिर, दारिया तरादाई, लमिस अतलाबी, फिरूज़ अकबरैन, सना सफ़ी, कैटरीना खिनकुलुवा, तमारा गिल्डा, मुना बा
बीबीसी 100 वीमेन एडिटर गूलनुश गुलशनी
प्रोडक्शन, वर्ल्ड सर्विस की भाषाओं के लिए रोबेर्तो वेलो रोवेला और कार्ला रोश
डिज़ाइन प्रिना शाह, जेना लॉ, मैट थॉमस, पॉलिन विल्सन, और ओली पॉवेल
डेवेलपमेंट स्कॉट जर्विस, अरुण बाहरी, एलेक्ज़ेंडर इवानोव, प्रीति वाघेला और हॉली फ्रैम्पटन
फोटो कॉपी राइट मिलर मोब्ले, मैकिएक टोमिकज़ेक/ऑक्सफ़ोर्ड वर्कशॉप, आरती कुमार-राव, हम्ना हक्की, क्रेग कोलेस्की, पैनो एआई, एल. रीड, बेंजामिन जोन्स, योबर एरियस, अमांडा ट्रिपलेट, एनी रॉबर्ट्स, डायर अब्दुघफोरज़ोडा, यूटीएमबी द्वारा दोई इंथानोन थाईलैंड, किंघई स्नोलैंड लुसी पाइपर, लुईस माबुलो, क्रिश्चियन टैसो, मार्टिन चांग, कॉन्स्टेंटिन डेरीगिन, गेब्रियल क्विंटाओ, एबेल कैनिज़ेल्स, ग्रेटरिवर्स एनवायर्नमेंटल प्रोटेक्शन एसोसिएशन, जेसन बोबर्ग, न्यू बैलेंस पैराग्वे, जो ऐनी मैकआर्थर, ग्रेटरिवर्स एनवायर्नमेंटल प्रोटेक्शन एसोसिएशन, जेसन बोबर्ग, पैट्रिक वैली, सारा हेल , जिमेना माटेओट, लुकास क्रिस्टियनसेन, हन्ना वाकर-ब्राउन, वुडी मॉरिस, ज़िनयान यू, क्रिस पार्कर, तासीर बेग, अल्बर्ट कामंगा, ज़ीया क्रिएशन्स, सलेम सोलोमन, ल्यूक नुगेंट, आर. डेविड मार्क्स, ली टिंकलिम, सैटू/वीटीआई, फीफा, जोश फिंच, फ्लाइंग लक, फोएबे जू, ग्रेगरी वेप्रीक, डार्को टॉमस क्रॉपिक्स, वंजिरा मथाई, रुफत एर्गेशोव, ओस्वाल्डो फैंटन, दानी पुजाल्टे, गिउलिआनो साल्वाटोर, लोरियल फाउंडेशन, डैनियल एडुआर्डो, तात्याना एगोरोवा, डोवाना फिल्म्स, जिमी डे/एमआईटी, पाथ पब्लिशिंग - लेया, खिन ह्निन वाई फाउंडेशन, एंड्रयू सिकोरस्की, रेमन टोलोसा काल्डेरन, मरियम सिद्दीकी, फेरल फिल्म्स, सेबेस्टियन अलीगा, डायर अब्दुघफोरज़ोडा, द व्हाइट हेल्मेट्स/सीरिया सिविल डिफेंस, एली वर्ली, डीजीएल ननरी, मुस्तफा अबुमेनेस, इमानुएल एलो उसाई, फ़ज़ल रहम अरमान, एमिलिया ट्रेजो, मटिया ज़ोपेलारो, मार्टिन ल्यूपटन/लाइट कलेक्टिव, यासमिना बेन्स्लिमेन, पावलो बोटानोव, मारिजेटा मोजासेविक, लेनाड्रापेला, गैल मोसेंसन, गेटी इमेजेज़।